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नियम के खिलाफ स्‍पोर्ट्स कोर्ट पहुंची ओलिंपिक चैंपियन कैस्‍टर सेमेन्या

नियम के अनुसार अगर कोई ‘हाइपरएंड्रोजेनिक’ खिलाड़ी या ‘यौन विकास में भिन्नता’ वाला खिलाड़ी प्रतिस्पर्धा पेश करना चाहता है तो उन्हें अपने टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करने और सीमा के अंदर लाने के लिए दवा लेनी होगी

Bhasha

ओलंपिक 800 मीटर चैंपियन साउथ अफ्रीका की कैस्‍टर सेमेन्या उस प्रस्तावित नियम को चुनौती देने के लिए सोमवार को खेल पंचाट (कैस) की शरण में गई जिसमें उन्हें अपने टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करने के लिए कहा गया था.

साउथ अफ्रीका सरकार ने कहा है कि ट्रैक एवं फील्ड की वैश्विक संस्था अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघों के संघ (आईएएएफ) के प्रस्तावित नियम विशेष रूप से सेमेन्या को निशाना बनाने के लिए हैं. देश की सरकार ने साथ ही इन्हें सेमेन्या के मानवाधिकार का उल्लंघन करार दिया. इन विवादास्पद नियमों के अनुसार अगर कोई ‘हाइपरएंड्रोजेनिक’ खिलाड़ी या ‘यौन विकास में भिन्नता’ वाला खिलाड़ी प्रतिस्पर्धा पेश करना चाहता है तो उन्हें अपने टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करने और सीमा के अंदर लाने के लिए दवा लेनी होगी. इस नियम को पिछले साल नवंबर में लागू किया जाना था, लेकिन लुसाने स्थिति कैस में सुनवाई लंबित होने तक इसे टाल दिया गया. इस सुनवाई में सेमेन्या के हिस्सा लेने की संभावना है. उम्मीद है कि इस मामले में मार्च के अंत तक फैसला आ जाएगा.


क्या था सेमेन्या को लेकर विवाद

सेमेन्या के मुद्दे पर साउथ अफ़्रीका एथलेटिक्स संघ और अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं. सेमेन्या का नाम अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स पटल पर जुलाई 2009 में तब आया था जब उन्होंने 800 मीटर की दूरी केवल एक मिनट और 56.72 सेकेंड में पूरी कर अपना ही पुराना रिकॉर्ड तोड़ा था. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ ने बर्लिन विश्व प्रतियोगिता से पहले सेमेन्या का लिंग परीक्षण करवाए जाने की मांग की थी. लेकिन साउथ अफ़्रीकी अधिकारी कहते रहे कि ये परीक्षण बाहर करवाए जाने चाहिए. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ ने प्रारंभिक जांच के आधार पर साउथ अफ़्रीका से कहा कि वो सेमेन्या को जर्मनी ना भेजे. मगर साउथ अफ़्रीका के एथलेटिक्स संघ ने ये कहते हुए सेमेन्या को दौड़ने की अनुमति दिए जाने पर जोर दिया कि सेमेन्या महिला ही हैं और सेमेन्या के घर के लोगों ने भी इसका समर्थन किया.

इसके बाद सेमेन्या ने एक मिनट 55.45 सेकेंड का समय निकालकर बर्लिन में 800 मीटर की दौड़ का गोल्‍ड मेडल हासिल किया. लेकिन अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स संगठन ने सेमेन्या का और परीक्षण किए जाने का आदेश दिया. सेमेन्या में टेस्टोस्टेरोन का स्तर किसी भी महिला के नमूने में पाए जाने वाले स्तर से तीन गुना ज्यादा निकला. उन पर प्रतिबंध लगाया गया, लेकिन खेल पंचाट (कैस) ने उनके पक्ष में फैसला दिया. सेमेन्या ने 2012 लंदन और 2016 रियो ओलिंपिक में गोल्‍ड मेडल जीता है. इसके अलावा वह विश्व चैंपियनशिप में तीन गोल्‍ड और एक ब्रॉन्‍ज पदक जीत चुकी हैं.