कॉमनवेल्थ गेम्स में मिले गोल्ड मेडल के बाद आत्मविश्वास से ओतप्रोत जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा की नजरें अब एशियाई खेलों पर हैं, लेकिन उसका मानना है कि इसमें चुनौती कॉमनवेल्थ गेम्स से कठिन होगी.
नीरज कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने वाला भारत के पहले जैवलिन थ्रोअर खिलाड़ी बन गए. उन्होंने 86.47 मीटर का थ्रो फेंका. उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शन से वह जकार्ता एशियाई खेलों में गोल्ड नहीं जीत सकेंगे.
नीरज ने कहा, ‘राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतना अच्छा रहा. इससे आगे के सत्र के लिए आत्मविश्वास बढेगा. इससे मुझे आत्मविश्वास मिला है कि मैं बेहतर प्रदर्शन कर सकता हूं. अब मेरा लक्ष्य एशियाई खेलों में गोल्ड जीतना है.’
उन्होंने कहा ,‘मैने कॉमनवेल्थ खेलों के लिए काफी मेहनत की और अब उससे भी ज्यादा मेहनत करनी होगी. एशियाई खेल कॉमनवेल्थ खेलों की तुलना में कठिन होंगे और मुझे बेहतर प्रदर्शन करना होगा.’
नीरज ने कहा, ‘जकार्ता में ताइपे का एशियाई रिकॉर्डधारी चेंग चाओ सुन होंगे, जिसका सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत प्रदर्शन 91.26 मीटर है. कतर का अहमद बदर भी 85 मीटर से ऊपर फेंकता है. एशियाई खेलों में इतना आसान नहीं होगा.’
हरियाणा के इस खिलाड़ी ने कहा ,‘मैं एशियाई खेलों की जोरदार तैयारी करूंगा. इसके लिए सबसे पहले चार मई को दोहा में डायमंड लीग में भाग लेना है जहां प्रतिस्पर्धा ओलिंपिक और विश्व चैंपियनशिप स्तर की होगी. यहां तीन चार प्रतियोगी 90 मीटर से ऊपर थ्रो कर चुके हैं.’
यह पूछने पर कि क्या वह पूर्व विश्व रिकॉर्डधारी और राष्ट्रीय टीम के मुख्य कोच उवे हान के साथ अभ्यास करेंगे, उन्होंने कहा , हां, मैं उनके साथ अभ्यास करूंगा. किसी और कोच के साथ अभ्यास का फिलहाल कोई इरादा नहीं है.’