ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त, 1905 को हुआ था. मात्र 16 साल की उम्र में वह सेना में शामिल हुए थे
1928 के एमस्टर्डम ओलिंपिक में 14 गोल के साथ ध्यानचंद लीड गोल स्कोरर रहे
ध्यानचंद की बदौलत भारत ने 1932 के समर ओलिंपिक में अमेरिका को 24-1 और जापान को 11-1 से हराया
अमेरिका और जापान के खिलाफ भारत की ओर से दागे कुल 35 गोल में से ध्यान चंद के 12 और उनके भाई रुप सिंह के 13 गोल थे
1936 के बर्लिन ओलिंपिक में पहले मैच के बाद पूरे शहर में ध्यानचंद के पोस्टर लगे थे, उन्हें भारत का जादूगर कहा गया
1935 में ऑस्ट्रेलिया में ब्रैडमैन ने ध्यानचंद को खेलते हुए देखकर कहा कि वो क्रिकेट की तरह स्कोर करते हैं
अपने 22 साल के करियर (1926-48) में ध्यानचंद ने कुल 400 से ज्यादा गोल दागे
उनके खेल से हैरान नेदरलैंड्स हॉकी अथॉरिटी ने उनकी हॉकी तोड़कर चेक किया कि उसमें चुंबक तो नहीं
एक बार मैदान पर गोल पोस्ट के माप को लेकर ध्यानचंद रेफरी से भिड़ गए थे, जब जांच की गई तो वो सही साबित हुए