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जानिए किसने बनाया सरदार सिंह को हॉकी का सरदार

कोच डॉ. बलदेव सिंह की नजर जब सात साल के सरदार पर नजर पड़ी तो उसकी बॉल पर मजबूत पकड़ को देख उसे मैदान में बुलाए बिना न रह सके

FP Staff

छोटी उम्र में जब बच्चे खिलौनों की मांग करते थे, तब सरदार सिंह ने हॉकी स्टिक को अपना खिलौना बनाया. 5 जुलाई 1986 को हरियाणा के सिरसा जिले के रानिया में जन्मे सरदार सिंह का ताल्लुक हॉकी के परिवार से था. असल में उनके बड़े भाई दीदार सिंह राष्ट्रीय टीम से खेल चुके हैं. इसके अलावा वह अपने समय के शानदार ड्रैग फ्लिक विशेषज्ञ रहे. इस लिए कह सकते हैं कि सरदार स्टिक के साथ ही बड़े हुए.

उसी दौरान कोच डॉ. बलदेव सिंह की जब हॉकी खेल रहे महज सात साल के सरदार पर नजर पड़ी तो उसकी बॉल पर मजबूत पकड़ को देख वह उसे मैदान में बुलाए बिना न रह सके. इसके बाद शुरू हुआ सरदार की कोचिंग का सिलसिला. फिर उस बच्चे ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और देखते ही देखते हॉकी का सरदार बन बैठा.


बलदेव सिंह ने उनकी प्रतिभा को तराशा

बलदेव सिंह जीवननगर के नामधारी स्कूल में हॉकी खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देते थे. 1992 में जब सरदार महज सात साल का था तो उस समय हॉकी खिलाड़ी जूनियर दीदार सिंह के साथ खेलने आता था. उम्र कम होने के कारण सरदार मैदान के बाहर ही स्टिक और बॉल से अकेला खेलता रहता था. एक दिन बलदेव सिंह की नजर उन पर पड़ी. सरदार सीनियर खिलाड़ियों की तरह बॉल को पास कर रहा था. बलदेव को उसमें कुछ खास नजर आया और फिर जो हुआ वो आज इतिहास बन चुका है.

2006 में किया पाकिस्तान के खिलाफ पदार्पण

सरदार का जल्द ही जूनियर राष्ट्रीय हॉकी टीम में चयन हो गया. वह जूनियर टीम के 2003-04 के पोलैंड दौरे में खेले. इसके बाद उन्हें सीनियर टीम में जगह बनाने में देर नहीं लगी. 2006 में उन्होंने सीनियर टीम में खेलते हुए पाकिस्तान के खिलाफ पदार्पण किया. दो साल बाद उन्होंने सीनियर नेशनल हॉकी टीम की कमान संभाल ली. सरदार 2008 में 22 बरस की उम्र में सुल्तान अजलन शाह कप में भारतीय टीम के सबसे युवा कप्तान बने. कप्तान के तौर पर सरदार 16 टूर्नामेंट खेल चुके हैं, जिसमें विश्व कप, चैंपियंस ट्रॉफी, हॉकी विश्व लीग, अजलान शाह कप, एशिया कप, एशियन गेम एशियन चैंपियंस ट्रॉफी और राष्ट्रमंडल खेल जैसे टूर्नामेंट शामिल हैं.

लीग के पहले संस्करण में सबसे महंगे खिलाड़ी बने

सरदार अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ की 2010 और 2011 टीम का हिस्सा भी रहे. हॉकी इंडिया लीग के पहले संस्करण में सरदार सिंह सबसे महंगे खिलाड़ी बनकर उभरे. इस प्रतियोगिता में उन्हें दिल्ली की टीम ने 42.49 लाख रुपए में खरीदकर अपना हिस्सा बनाया था. जिस तरह से दिल्ली ने उन पर भरोसा दिखाया था, उसी तरह उन्होंने मैदान पर अपना जलवा भी दिखाया. इस टूर्नामेंट में वह ‘प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट’ रहे थे.

2015 में मिला ‘पद्मश्री’, 2017 में  खेल रत्न

इसी कड़ी में साल 2015 में उन्हें देश का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ मिला दिया गया. इसके पहले उन्हें 2012 में अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. 2017 में उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न सम्मान दिया गया. सरदार खेल रत्न से सम्मानित होने वाले धनराज पिल्लै के बाद दूसरे हॉकी खिलाड़ी हैं. सरदार सिंह हरियाणा पुलिस में डीएसपी के पद पर तैनात हैं.