भारतीय एमेच्योर कबड्डी महासंघ (एकेएफआई) के ट्रायल्स में शनिवार को शुरू से लेकर आखिर तक भ्रम की स्थिति बनी रही, जिसमें विरोधी संघ के खिलाड़ी भारतीय टीम के खिलाफ मैच खेलने के लिए मौजूद थे. एशियन गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला और पुरुष टीमों में से कोई भी मैच के लिए नहीं पहुंची. दिल्ली उच्च न्यायालय के दो अगस्त को दिए गए आदेश के आधार पर इस मैच का आयोजन किया गया था, लेकिन विरोधी गुट नए कबड्डी महासंघ नेशनल कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया (एनकेएफआई) के याचिकाकर्ता ने आदेश का पूरी तरह से गलत अर्थ लगा दिया था.
दरअसल एनकेएफआई का आरोप था कि जकार्ता एशियाई खेलों के लिए भारतीय टीमों के चयन में काफी गड़बड़ियां की गई. दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश खंड (नौ) में कहा गया है कि भारतीय एमेच्योर कबड्डी महासंघ - प्रतिवादी नंबर चार चयन प्रक्रिया का आयोजन करेगा जो 15 सितंबर 2018 को 11 बजे शुरू होगी, लेकिन इसमें कहीं भी यह जिक्र नहीं किया गया है कि ट्रायल प्रक्रिया के लिए किसी राष्ट्रीय टीम की जरूरत पड़ेगी.
इसके बाद हुआ ओपन ट्रायल
एनकेएफआई के उन सभी खिलाड़ियों के लिए यह निराशाजनक था जिन्हें ट्रायल के वादे के साथ यहां लाया गया था. असल में पता चला है कि बागी संघ के बैनर तले यहां पहुंचे अधिकतर खिलाड़ी लंबे समय से राष्ट्रीय शिविर का हिस्सा नहीं थे.
आखिर में एकेएफआई ने अदालत के आदेशों के अनुसार एक ओपन ट्रायल्स का आयोजन किया, जिसमें सभी आयु वर्गों की लड़कियों ने पर्यवेक्षक न्यायमूर्ति एस पी गर्ग के सामने मैच खेले. एकेएफआई का केवल एक पदाधिकारी सहायक सचिव देवराज चतुर्वेदी ही इस अवसर पर मौजूद थे. उनसे जब ट्रायल्स के आयोजन के तरीके पर सवाल किया गया तो वह जवाब देने से बचने की कोशिश करते रहे. चतुर्वेदी से ट्रायल्स आयोजित करवाने के पीछे का कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि वह केवल माननीय अदालत के आदेश का पालन कर रहे हैं. साथ ही चतुर्वेदी ने कहा कि कृपा करके मुझे बख्श दो क्योंकि मैं वेतनभोगी कर्मचारी हूं.