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31 'सी' की मदद से पूरा होगा मिशन 32 'सी'

जूनियर वर्ल्ड कप हॉकी काउंटडाउन – कोच की कहानी

Shailesh Chaturvedi

फोन करने पर कॉलर ट्यून बजती है – आसान है लिखना वतन के लिए, कभी सीखो मिटना वतन के लिए... फोन उठाते ही पहली आवाज आती है – जय हिंद. हरेंद्र सिंह के लिए उनके शब्दों में यही उनकी पहली पहचान है. इसी पहचान के साथ वो भारतीय जूनियर टीम को दुनिया जिताना चाहते हैं. दुनिया यानी वर्ल्ड कप, जो 8 दिसंबर से लखनऊ में शुरू होना है.

पिछले करीब दो दशकों से हरेंद्र का जुड़ाव किसी न किसी टीम के साथ रहा है. चाहे वो जूनियर टीम हो या सीनियर. नहीं तो घरेलू हॉकी में अपनी टीम इंडियन एयरलाइंस, जो अब एयर इंडिया हो गई है. हाफ पैंट, हाथ में पहले स्लेटनुमा चीज, जो अब आई पैड में तब्दील हो गई है. धूप में सिर पर हैट... और हमेशा टर्फ पर व्यस्त दिखाई देने वाला शख्स. अगर कोई हरेंद्र को नहीं पहचानता, तो वो टर्फ पर जाकर सबसे व्यस्त शख्स में उनकी पहचान कर सकता है.


मॉडर्न हॉकी के लिहाज से बेहतरीन

हरेंद्र बिहार से हैं, जिसे झारखंड से अलग कर दिया जाए, तो ज्यादा हॉकी खिलाड़ी नहीं मिलेंगे. वो दिल्ली में रहते हैं, जिसे हॉकी के लिए नहीं जाना जाता. वो ओलिंपियन नहीं हैं, जो अरसे तक भारतीय हॉकी से जुड़े रहने की पहली शर्त हुआ करती थी. जब भी कोच, एक्सपर्ट, मैनेजर के रूप में किसी का नाम लिया जाता था, तो ओलिंपियन की बात होती थी. हरेंद्र ने उन सबसे पार जाकर अपना मुकाम बनाया है. मॉडर्न हॉकी के मामले में उन्हें बेहतरीन भारतीय हॉकी कोच मानने वालों की कोई कमी नहीं है.

हरेंद्र के लिए किसी इवेंट की तैयारी युद्ध से कम नहीं होती. कुछ साल पहले उन्होंने टीम को प्रेरित करने के लिए एक ऑडियो और वीडियो बनवाया था. इसमें हिंदी फिल्म गदर के डायलॉग थे. विंस्टन चर्चिल का भाषण था. वो कहते हैं, ‘प्रेरित करना बहुत जरूरी होता है. कई बार थोड़ा कमजोर खिलाड़ी भी प्रेरित होकर आपके बेस्ट खिलाड़ी से भी बेहतर प्रदर्शन कर सकता है.’ लेकिन इसके बीच उन्होंने रणनीति से समझौता नहीं किया है.

सफलता के लिए सारे मंत्र 'सी' में

इस बार उनके लिए मंत्र है अंग्रेजी का एक अक्षर सी. तमाम ‘सी’ की मदद से वो अपनी टीम को सी से चैंपियन बनाना चाहते हैं. उनके 31 सी में कमिटमेंट से लेकर करेज तक तमाम शब्द हैं. हालांकि इसमें चैंपियन शब्द नहीं है, जो हरेंद्र ने दो वजहों से नहीं जोड़ा है. वो टीम पर दबाव नहीं डालना चाहते. दूसरा, ये शब्द टूर्नामेंट के बाद टीम के साथ जुड़ना चाहिए, शायद उनकी सोच ये है. हरेंद्र के लिए कोच के तौर पर दूसरा जूनियर वर्ल्ड कप है. पहला 2005 में था, जब भारतीय टीम खिताब की दावेदार कही जा रही थी. टीम सेमीफाइनल तक पहुंची, जहां उसे ऑस्ट्रेलिया से शिकस्त मिली थी. हरेंद्र ने तब फोन पर कहा था, ‘किसी लड़के ने खाना नहीं खाया है. सब अपने रूम के दरवाजे बंद करके बैठे हैं. मुझे भी यकीन नहीं हो रहा कि हम पोडियम फिनिश नहीं कर पाए.’

हरेंद्र ने इस तरह के तमाम लम्हे देखे हैं, जब भारतीय हॉकी का दिल टूटा है. चाहे वो सिडनी ओलिंपिक हो, जब आखिरी लम्हों की गलती ने भारत को सेमीफाइनल में नहीं पहुंचने दिया था. वो 2001 की उस टीम के भी कोच थे, जो चैंपियन बनी थी. ये अलग बात है कि चैंपियनशिप से कुछ दिन पहले कमान हरेंद्र की जगह राजिंदर सिंह सीनियर को दे दी गई थी.

दो साल पहले जूनियर टीम के साथ जुड़े थे

इस बार, पिछले कुछ साल से (2014) उन्हें एक बेहतर माहौल मिला टीम को तैयार करने का. वो उनकी बातों में दिखता भी है, ‘समय मिला, बेहतर सुविधाएं मिलीं. अब समय बेहतर नतीजे देने का है.’ हरेंद्र के लिए इस बार फोकस सामने वाली नहीं, अपनी टीम है, ‘जब आप अपनी टीम को ज्यादा बेहतर करेंगे, तो सामने वाले पर जरूरत से ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं होगी. वही मैंने किया है. टीम का माहौल थोड़ा रिलैक्स रखने की कोशिश की है.’ हरेंद्र से कई साल पहले तक टीम को एक शिकायत रहती थी कि वो शॉर्ट टेंपर्ड हैं यानी गुस्सा जल्दी आता है. हरेंद्र कहते हैं, ‘पिछले कुछ साल में एफआईएच के कई कोर्स करने के बाद मेरा रवैया बदला है. वैसे भी उम्र के साथ आप मैच्योर होते हैं. लेकिन मैं अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करता. भारतीयों का एक रवैया है कि सब चलता है. जब ऐसा रवैया होता है, तो मुझे हमेशा गुस्सा आता है. वो कभी बदलेगा भी नहीं.’

हरेंद्र के लिए जूनियर वर्ल्ड कप मिशन 2016 है. व्हाट्एप ग्रुप का नाम भी उन्होंने यही रखा है. देश की हॉकी को उन्होंने कई खिलाड़ी दिए हैं. वर्तमान सीनियर टीम में सरदार सिंह और श्रीजेश के टैलेंट को पहचानने का श्रेय उन्हें जाता है. अब उन्हें लगता है कि इस जूनियर टीम के कम से कम आठ खिलाड़ी 2020 ओलिंपिक्स का हिस्सा होंगे. लेकिन वो बाद की बात. अभी फोकस जूनियर वर्ल्ड कप पर है. अपने हैट, अपने आई पैड के साथ वो तैयार हैं. उसी शब्द की तलाश में, जो अभी उनके 31 सी में शामिल नहीं है... यानी चैंपियन.