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आखिर इतनी कामयाबी के बाद भी क्यों निराश हैं टेबल टेनिस की क्वीन मनिका बत्रा!

इस साल मनिका बत्रा ने पहले कॉमनेल्थ गेम्स और फिर एशियन गेम्स में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया है

FP Staff

भारत की टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा के लिए यह साल बेहद खास रहे हैं. पहले कॉमनवेल्थ गेम्स और फिर सियन गेम्स मे जोरदार प्रदर्शन करके उन्होंने देश में अपने साथ साथ टेबल टेनिस की भी एक नई पहचान बनाई है. मनिका बत्रा को उनके बेहतरीन प्रदर्शन के चलते इस साल अर्जुन अवॉर्ड देने की सिफारिश की गई है. अपनी ऐतिहासिक उपलब्धियों के लिये अर्जुन पुरस्कार मिलने से मनिका बत्रा खुश तो  हैं लेकिन अपने कोच संदीप गुप्ता को द्रोणाचार्य नहीं मिलने से वह निराश भी हैं.

मनिका की देश का दूसरा सर्वोच्च खेल सम्मान मिलने की खुशी तब थोड़ा कम हो गयी जब उनके बचपन के कोच गुप्ता को दूसरी बार द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए नहीं चुना गया.


मनिका अपनी निराश को छुपा भी नहीं रही हैं उनका कहना है, ‘हां, मैं चाहती थी कि उन्हें पुरस्कार मिले लेकिन यह सरकार का फैसला है और हमें इसका सम्मान करना होगा. मैं कड़ी मेहनत करूंगी ताकि अगली बार उन्हें यह पुरस्कार मिले.’

उनकी मां सुशीला ने कहा, ‘यह उसके लिये थोड़ी खुशी थोड़ा गम जैसा मामला है.’

कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने वाली पहली महिला टेबल टेनिस खिलाड़ी और एशियाई खेलों की ब्रॉन्ज मेडल विजेता मनिका राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार की दौड़ में भी बनी थीं लेकिन उन्हें अर्जुन अवॉर्ड ही दिया गया.

23 साल की मनिका का कहना है  हां मुझे खेल रत्न उम्मीद थी लेकिन अन्य खिलाड़ी भी योग्य थे. यह सही है. मैं इसके लिए अपनी तरफ से अच्छा प्रदर्शन जारी रखूंगी.’

(इनपुट-भाषा)