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कॉमनवेल्थ गेम्स में शूटर्स ने 16 मेडल जीते, एशियाड में क्या इसके आधे भी जीत पाएंगे?

कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय शूटर्स ने हमेशा ही अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन एशियाड में यह दबदबा देखने को नहीं मिल पाता

Kiran Singh

भारतीय खिलाड़ियों ने गोल्ड कोस्ट में हर खेल में खेल प्रेमी के चेहरे पर सुनहरी मुस्कान ला दी. गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने कुल 66 मेडल अपने नाम किए, जिसमें से 26 तो सिर्फ गोल्ड मेडल है्ं. निशानेबाज सबसे ज्यादा सफल रहे. सात गोल्ड, 4 सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज सहित कुल 16 मेडल के साथ निशानेबाजी दल शीर्ष पर रहा. कॉमनवेल्थ गेम्स में हर बार मेडल का आंंकड़ा अच्छा रहा है, लेकिन एशियन गेम्स में यह आंंकड़ा बदलता हुआ सा नजर आता है. अगर पिछले एक दशक के आंकड़ों पर नजर डाले तो देखेंगे कि एशियाड में हमारे निशानेबाजों को एक ब्रॉन्ज मेडल के लिए भी कितना संघर्ष करना पड़ता है. हालांकि अब स्थिति बदल रही है. एशियाड में भी धीरे धीरे पदकों का आंकड़ा बढ़ रहा है और कॉमनवेल्थ का ये प्रदर्शन इसी साल अगस्त में होने वाले एशियाड में हमारे मेडल्स की संख्या को जरूर प्रभावित करेगा.


गेम्‍स2002201020142018
कॉमनवेल्‍थ24 (14 गोल्ड, 7 सिल्वर, 3 ब्रॉन्ज)30 (14 गोल्ड, 11 सिल्वर, 5 ब्रॉन्ज)17 (4 गोल्ड, 9 सिल्वर, 4 ब्रॉन्ज)16 (7 गोल्ड, 4 सिल्वर, 5 ब्रॉन्ज)
एशियाड2 (0 गोल्‍ड, 2 सिल्‍वर, 0 ब्रॉन्‍ज)8 (1 गोल्‍ड, 3 सिल्‍वर, 4 ब्रॉन्‍ज)9 (1 गोल्‍ड, 1 सिल्‍वर, 7 ब्रॉन्‍ज)      -

हालांकि कॉमनवेल्थ गेम्स का असर एशियाड पर दिखता है. शूटर्स का कॉमनवेल्‍थ में जैसा प्रदर्शन होता है उसका असर एशियाड में मेडल पर भी पड़ने लगा है. एशियन गेम्स में भी शूटिंग में मेडल्स का आंकड़ा बढ़ रहा है. 2002 कॉमनवेल्थ गेम्स में 24 मेडल्स थे, उस समय भले ही एशियाड में दो मेडल्स जीते हों, लेकिन उसके बाद संख्या बढ़ी ही है. 2010 में 8 और 2014 में संख्या बढ़कर 9 हो गई. इस आंकड़े को देखकर उम्मीद की जा सकती है कि गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित करने वाले युवा  अनीष भानवाल, मनु भाकर, मेहुली घोष सहित अनुभवी निशानेबाज इस संख्या को बढ़ा सकते हैं.

2002 में कॉमनवेल्थ में 24 तो एशियाड में सिर्फ 2 ही मेडल

2002 कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने 24 मेडल जीते थे, जिसमें से 14 मेडल तो गोल्ड थे, लेकिन एशियाड आते-आते यह आंकड़ा सिर्फ दो ही रह गया. मानवजीत सिंह संधू, मनशेर सिंह और अनवर सुलतान ने ट्रैप टीम इवेंट में और अंजलि भागवत, दीपाली देशपांडे और सुमा शिरूर ने वीमन 10 मीटर एयर राइफल टीम इवेंट में सिल्वर जीता. सिर्फ अंजलि और सुमा ही अपने प्रदर्शन को कॉमनवेल्थ से एशियाड तक बरकरार रख पाए. अंजलि ने कॉमनवेल्थ में चार गोल्ड जीते थे. 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन,10 मीटर एयर राइफल का सिंगल्स का गोल्ड, सुमा के साथ जोड़ी बनाकर 10 मीटर एयर राइफल पेयर्स और राज कुमारी के साथ जोड़ी बनाकर 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन का गोल्ड जीता था. वहीं कॉमनवेल्थ में 25 मीटर स्टैंटर्ड पिस्टल, डबल ट्रैप, 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन, 25 सेंटर फायर पिस्टल आदि में गोल्ड जीतने वाले जसपाल राणा, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, चरण सिंह एशियाड में फ्लॉप रहे.

2010 में कॉमनवेल्थ में 30 तो एशियाड में सिर्फ 8 मेडल ही जीत पाए

2010 एशियाड में शूटिंग में यह आंकड़ा बढ़ा. भारत ने उस समय कॉमनवेल्थ में शूटिंग में 30 मेडल जीते थे, जिसमें 14 गोल्ड, 11 सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज शामिल है. कॉमनवेल्थ में आंकड़ा बढ़ते ही एशियाड में संख्या बढ़ी और शूटिंग में मेडल की संख्या 8 हो गई, जिसमें एक गोल्ड, 3 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज शामिल हैं. 2010 एशियाड में एकमात्र गोल्ड रोंजन सोढ़ी ने दिलवाया. सोढ़ी ने मैंस डबल ट्रैप में गोल्ड पर निशाना लगाया था.

कॉमनवेल्थ में 10 मीटर एयर पिस्टल सिंगल, पेयर्स और 50 मीटर पिस्टल सिंगल में तीन गोल्ड जीतने वाले ओमकार सिंह उसी साल एशियाड  में खाली हाथ रहे. विजय कुमार ने 25 मीटर रैपिड फायर सिंगल्स, गुरुप्रीत सिंह के साथ पेयर्स में और हरप्रीत सिंह के साथ 25 मीटर सेंटर फायर पेयर्स को मिलाकर कुल तीन गोल्ड जीते. एशियाड में विजय ने 10 मीटर एयर पिस्टल और 25 मीटर सेंटर फायर पिस्टल में दो ब्रॉन्ज जीत पाए.

19 मीटर एयर राइफल सिंगल्स, अभिनव बिंद्रा के साथ पेयर, 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन सिंगल्स और इमरान के साथ 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन को मिलाकर कुल चार गोल्ड अपने नाम करने वाले गगन नारंग ने उसी साल एशियाड में 10 मीटर एयर राइफल का सिल्वर जीता. इसके अलावा संजीव और बिंद्रा के साथ मिलकर टीम इवेंट का सिल्वर जीता.

कॉमनवेल्थ में  हिना सिद्धू, अन्नुराज सिंह की जोड़ी ने 10 मीटर एयर पिस्टल पेयर्स का गोल्ड, अनीसा सैयद ने 25 मीटर पिस्टल सिंगल्स का गोल्ड, अनीसा और राही ने 25 मीटर पिस्टल पेयर्स का गोल्ड जीता, लेकिन एशियाड में महिला खेमे से सिर्फ एक ही मेडल आया. हिना, अन्नू और सोनिया ने 10 मीटर एयर पिस्टल टीम में सिल्वर जीता.

2014 में सिर्फ जीतू ही दिखे थे अपनी लय में

ग्लास्गो कॉमनवेल्थ में 4 गोल्ड, 9 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज भारत ने शूटिंग में अपने नाम किए, जबकि इंचियोन एशियाड में एक गोल्ड, एक सिल्वर और 7 ब्रॉन्ज ही भारतीय शूटर्स के खाते में आए. कॉमनवेल्थ में अभिनव बिंद्रा और अपूर्वी चंदेला ने 10 मीटर राइफल, जीतू राय ने 50 मीटर पिस्टल और राही ने 25 मीटर पिस्टल में गोल्ड पर निशाना लगाया. वहीं एशियाड में जीतू को छोड़कर ग्लास्गो का कोई भी मेडलिस्ट अपनी लय में नहीं दिखा. जीतू ने 50 मीटर एयर पिस्टल का गोल्ड जीता था. इसके अलावा  सिर्फ एक सिल्वर मैंस 25 मीटर सेंटर फायर पिस्टल टीम में पेंबा तमांग, विजय कुमार और गुरप्रीत सिंह ने दिलाया.

शूटिंग के ये इवेंट एशियाड में नहीं 

कॉमनवेल्थ और एशियाड में शूटिंग में कुछ इवेंट में  अलग भी होते हैं. एशियाड में 25 मीटर सेंटर फायर पिस्टल, स्डैंडर्ट पिस्टल, रनिंग टार्गेट की स्पर्धाएं होती हैं, जबकि कॉमनवेल्थ में इन्हें शामिल नहीं किया गया. 25 मीटर सेंटर फायर पिस्टल  1982 से 2010 तक कॉमनेवल्थ में शामिल थी, लेकिन 2014 से इसे हटा दिया गया. ऐसे ही स्टैंडर्ट पिस्टल 2002 से 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स तक ही थी. हालांकि खबरों के अनुसार इस एशियाड से भी शूटिंग के कुछ इवेंट कम किए जा सकते है.

भारत के आगे 7 देश

कॉमनवेल्थ में हमारे निशानेबाज भले ही शीर्ष दो में बने रहते हैं, लेकिन एशियाड में हकीकत कुछ और ही है. एशियाड में पोडियम तक पहुंचने के लिए भारतीय निशानेबाजों को करीब सात देशों से  पार पाना होगा. चीन और साउथ कोरिया की चुनौती पार करना भारतीय निशानेबाजों के लिए हमेशा ही मुश्किल रही है. एशियाड में शूटिंग स्पर्धा में चीन ने जितने सिल्वर और ब्रॉन्ज नहीं जीते, उससे कहीं अधिक गोल्ड जीते है. अभी तक चीन ने 197 गोल्ड, 120 सिल्वर, 78 ब्रॉन्ज सहित शूटिंग में कुल 395 मेडल जीते है. चीन के बाद दूसरा नंबर साउथ कोरिया का है, जो चीन को बराबर की टक्कर देता है. तीसरे नंबर पर जापान, फिर नॉर्थ कोरिया, कजाखस्तान, कुवैत और थाइलैंड आते हैं. इसके बाद भारत का नंबर है. भारत ने अभी तक सात गोल्ड, 17 सिल्वर और 25 ब्रॉन्ज सहित कुल 49 मेडल शूटिंग में अपने नाम किए है. हालांकि भारत के बाद आने वाले देश फिलीपींस और कतर भी बराबर की चुनौती देते हैं.