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अधिकारियों की लापरवाही के चलते हॉकी के 15 युवा खिलाड़ियों का भविष्य दांव पर

पहले ही साल विवाद में फंसी राष्ट्रीय हॉकी अकादमी

FP Staff

देश में जमीनी स्तर पर हॉकी के खिलाड़ियों को विकसित करने के लिए बनाई गई राष्ट्रीय हॉकी अकादमी पहले ही साल में विवाद में फंस गई है. अकादमी को चला रहे अधिकारियों की लापरवाही के चलते 15 युवा हॉकी खिलड़ियों का भविष्य दांव पर लग गया है. अकादमी में एडमिशन के लिए बनाए गए नियमों में हुई गड़बड़ी की कीमत उन युवा खिलड़ियों को चुकानी पड़ रही है जिन्हें तराशने के लिए यह अकादमी शुरू की गई थी. नियमों में हुई गड़बड़ का परिणाम यह है कि इस अकादमी ट्रेनिंग ले रहे 15 खिलाड़ियों के अब सड़क पर आने की नौबत आ गई है.

दरअसल स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी साई ने पिछले साल जमीनी स्तर पर हॉकी के खिलाड़ियों को तैयार करने के लिए हॉकी की राष्ट्रीय अकादमी की शुरूआत की थी. इसके तहत आने वाले य़ुवा खिलाड़ियों को नेशनल स्टेडियम में ही आवासीय प्रशिक्षण दिया जाता है. उस वक्त हॉकी इंडिया के हाई परफॉर्मेंस, डारेक्टर रोलेंट ऑल्टमंस की देखरेख में 25 युवा खिलाड़ियों को अकादमी में प्रवेश दिया गया.


लेकिन इसके बाद हॉकी इंडिया के हाई परफॉर्मेंस डायरेक्टर बदल गए. एमपी गणेश को एकेडमी का हेड बनाया गया. ओल्टमंस भारतीय हॉकी टीम के चीफ कोच बन गए और डेविड जॉन ने ओल्टमंस की जगह ले ली. डेविड के आने के बाद अकादमी में भर्ती के लिए नए नियम बनाए. इन नए नियमों के तहत अकादमी में एंट्री के लिए न्यूनतम आयु के पैमाने भी बदले गए. और अब साल 2000 के बाद पैदा हुए खिलाड़ी ही अकादमी में भर्ती के लिए योग्य हैं.

कुछ दिन पहले ही ट्रायल्स भी आयोजित किए गए. लेकिन नए नियमों के चलते पहले से चयनित हुए 15 खिलाड़ियों के सामने अकादमी से बाहर होने के नौबत आ गई है.