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क्या करें इस भारतीय टीम का... उम्मीद रखें या निराश हो जाएं?

वर्ल्ड हॉकी लीग में भारत छठे नंबर पर रहा, टीम के प्रदर्शन से प्रशंसक निराश

Sundeep Misra

भारतीय हॉकी टीम वर्ल्ड लीग में पोडियम की उम्मीदें लेकर आई थी. कम से कम सेमीफाइनल. लेकिन सात मैच और तीन हार के साथ अब वो कनफ्यूज कोच, अकबकाए खिलाड़ी, नाराज प्रशंसक और निराशा लिए हुए वापसी कर रही है. तीन में से दो हार तो अपने से निचले स्तर की टीमों के खिलाफ थी.

कनाडा के खिलाफ भारत को 2-3 से शिकस्त खानी पड़ी. भारत को उस मैच में 10 पेनल्टी कॉर्नर मिले. स्ट्राइकिंग सर्किल पेनीट्रेशन 26 था. गोल पर शॉट 18 थे. दुनिया के किसी भी कोच के लिए ये आंकड़े टीम की क्वालिटी का संकेत देने वाले हैं. दूसरों के लिए ये आंकड़े अलग कहानी कहते हैं. भारतीय टीम ने हर क्वार्टर में दबदबा जमाया. लेकिन एक चीज हासिल करने में नाकाम रही. वो, जो खेल में सबसे अहम है – जीत.


टूर्नामेंट शुरू होने से पहले रोलंट ओल्टमंस ने कहा था कि 75 फीसदी मामलों में जो टीम तीन या ज्यादा गोल करती है, वो जीतती है. भारत ने जो तीन मैच हारे, उसमें हॉलैंड के खिलाफ स्कोर रहा 1-3, मलेशिया के खिलाफ 2-3 और कनाडा के खिलाफ भी 2-3. हॉलैंड के अलावा बाकी दोनों मैचों में भारतीय टीम हर तरीके से हावी रही. फिर ऐसा क्या है, जो भारत के लिए सही नहीं रहा.

जवाब आसान भी है और जटिल भी. तमाम लोगों ने सालों कोशिश की, लेकिन फेल हुए. रिक चार्ल्सवर्थ ने कहा था कि चैंपियन बनने की चाह होनी चाहिए. भारत में वो भूख नहीं दिखती. क्वालिटी को लेकर चार्ल्सवर्थ का कहना था कि भारत के पास जो है, उसे पाने के लिए दुनिया मरती है.

इतने मौके बनाने के बावजूद हारा भारत

क्वालिटी के बावजूद भारत को कनाडा के खिलाफ जीत नहीं मिल पाई. लगभग हर क्वार्टर में भारत का दबदबा रहा. फॉरवर्ड्स ने गोल करने के अलावा सब किया. फॉरवर्ड को या तो स्ट्राइक करना चाहिए या दूसरों के लिए मौका बनाना चाहिए. भारत के पास दस पेनल्ट कॉर्नर थे. कोशिश कितनी भी की हो, लेकिन रमनदीप सिंह, आकाशदीप सिंह, मनदीप सिंह, एसवी सुनील और तलविंदर सिंह 235 मिली मीटर की गेंद को 2.14 मीटर ऊंची और 3.66 मीटर चौड़ी जगह पर नहीं डाल पाए.

चारों क्वार्टर मिलाकर 26 हमले हुए. हर बार गोल के आसपास पहुंचे. बस, गोल नहीं हुआ. कनाडा ने खामोशी अख्तियार की हुई थी. वे काउंटर अटैक का इंतजार करते रहे. सेट पीसेज का फायदा उठाया और 2018 के वर्ल्ड कप मे जगह बना ली. भारत पर ऐसा दबाव नहीं था. उसे सिर्फ कनाडा से जीतकर पांचवें स्थान पर रहना था. कनाडा की टीम रैंकिंग में भारत से चार स्थान नीचे दसवें नंबर पर है. सही है कि खेल में उलटफेर होते रहते हैं. लेकिन ये बात हजम करने में आसानी रहती, अगर भारत पर विपक्षी टीम का दबदबा होता.

ओल्टमंस ने खिलाड़ियों के रवैये पर की बात

मैच के बाद ब्रीफिंग में ओल्टमंस ने खिलाड़ियों के रवैये पर चर्चा की. उन्होंने कहा, ‘कनाडा को क्वालिफाई करने के लिए जीतना था. हम पहले ही क्वालिफाई कर चुके हैं. मुझे लगता है कि खिलाड़ियों का रवैया उस तरह का नहीं था, जो जीत के लिए जरूरी है. पाकिस्तान को हराने के बाद हर किसी को लगा कि वही सब कुछ था. यह बकवास है, क्योंकि पाकिस्तान की टीम इस वक्त ऐसी नहीं है, जिसे आपको हराने के लिए सब कुछ झोंकना पड़े. आपको मलेशिया, कनाडा, बाकी टीमें, इंग्लैंड जैसों को हराने की जरूरत है.’

ओल्टमंस ने टूर्नामेंट के दौरान नेगेटिव पहलू पर बात करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘अभी ऐसा कुछ नहीं है, जिस पर मैं बात करना चाहूंगा. हमें विपक्षियों ने काफी होमवर्क दिया है. उनमें से एक है कि आप मौके बनाते हो, लेकिन स्कोर नहीं करते. कनाडा का सम्मान करते हुए मैं आंकड़ों के लिहाज से कहना चाहूंगा कि हमें वह मैच किसी हाल में नहीं हारना चाहिए था.’

भारतीय प्रशंसकों के लिए भी ओल्टमंस के पास एक संदेश था, ‘भारत के लोगों और मीडिया को समझना चाहिए कि ये लड़के बेहतरीन हॉकी खिलाड़ी हैं. वे दुनिया की किसी भी टीम से ज्यादा मौके बनाते हैं. शायद हमें इसे सपोर्ट करना चाहिए. हर बार नतीजे की तरफ नहीं देख सकते. फिक्र मत कीजिए, इन लड़कों में टॉप पर आने की क्षमता है.’

कई अहम खिलाड़ी टीम का हिस्सा नहीं थे

भारत की टीम बगैर रुपिंदर पाल सिंह के आई थी, जो हालिया समय में देश के सबसे कामयाब पेनल्टी कॉर्नर एक्सपर्ट है. यहां तक कि हरमनप्रीत भी मानते हैं कि रुपिंदर के न होने से टीम को फर्क पड़ा है. भारतयी टीम अपने कप्तान और नंबर वन गोलकीपर पीआर श्रीजेश के बगैर आई है. टीम में उथप्पा और बिरेंद्र लाकड़ा जैसे खिलाड़ी नहीं हैं. हालांकि सुरेंदर कुमार ने शानदार प्रदर्शन किया.

हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि हाल में जापान ने हॉकी इतिहास में पहली बार ऑस्ट्रेलिया को हराया. ये उन्होंने अजल शाह टूर्नामेंट में किया था. कोई प्रोसेस कोच और सपोर्ट स्टाफ के साथ शुरू और खत्म होता है. धैर्य सबसे अहम चीज है.

गार्डियन अखबार को दिए हालिया इंटरव्यू में साउथैम्पटन के मैनेजर बने मॉरिसियो पेलेग्रिनो ने कहा था, ‘अनुभव दिखाता है कि अच्छे और बुरे नतीजे एक ही पैकेट का हिस्सा होते हैं. अगर आप शांत हैं और टीम जीत रही है, तो लोग कहेंगे कि टीम इसलिए अच्छा खेल रही है, क्योंकि वो शांत है. अगर आप हारते हैं, तो लोग कहेंगे कि इतने शांत हैं कि टीम को आगे नहीं ले जा  पा रहे. आप एक ही कोच और खिलाड़ी में हीरो और विलेन ढूंढ सकते हैं.’