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हॉकी वर्ल्ड लीग फाइनल्स : भारतीय टीम ने फिर जीता ब्रॉन्ज मेडल

खिलाड़ियों की फिटनेस समस्याओं से जूझ रही जर्मनी को 2-1 से हराया

FP Staff

भारतीय हॉकी टीम की हॉकी विश्व लीग फाइनल्स में यह जीत दो साल पहले रायपुर में मिली जीत की याद दिला गई. तब दिसंबर माह का छठा दिन था, जबकि भुवनेश्वर में दिसंबर का आठवां. तब भारत ने नेदरलैंड्स के खिलाफ 5-5 से बराबरी के बाद पेनाल्टीज में 3-2 से जीत दर्ज कर ब्रॉन्ज मेडल जीता था. दो साल बाद भारत ने जर्मनी को रविवार को 2 - 1 से हराकर ब्रॉन्ज मेडल बरकरार रखा. वही मेडल जीतने के बाद कोई चीज थी जो खटक रही थी. नेदरलैंड्स पर जीत वाकई बड़ी उपलब्धि थी, लेकिन खिलाड़ियों की फिटनेस से परेशान जर्मनी पर भारत की जीत में वो लज्जत नहीं थी.

खचाखच भरे कलिंगा स्टेडियम में भारतीय टीम के लिए एसवी सुनील (21वां ) और हरमनप्रीत सिंह ( 54वां ) ने गोल किए, जबकि जर्मनी के लिए एकमात्र गोल मार्क एपेल ने किया जो मूलत: गोलकीपर हैं, लेकिन सेंटर फारवर्ड खेलने को मजबूर थे. जर्मनी के खिलाड़ियों के फिटनेस समस्याओं के कारण उसे अपनी बेंच स्ट्रेंथ के साथ उतरना पड़ा था. ग्रुप चरण में जर्मनी ने भारत को 2 – 0 से हराया था. भारत ने उस हार का हिसाब भी चुकता कर दिया.


बारिश से प्रभावित सेमीफाइनल में अर्जेंटीना से एक गोल से हारने के बाद भारत ने बेहतर प्रदर्शन किया. किस्मत ने भी जर्मन टीम का साथ नहीं दिया जिसके लिए 11 खिलाड़ी भी पर उतारना मुश्किल हो गया था. उसके चार खिलाड़ियों को सेमीफाइनल से पहले ही बुखार हो गया था. इस मैच में जर्मनी को सात पेनल्टी कॉर्नर मिले, लेकिन एक भी गोल में नहीं बदल सका.

पहले हाफ में जर्मनी ने आक्रामक शुरुआत की और दोनों क्वार्टर मिलाकर छह पेनल्टी कॉर्नर हासिल किए, लेकिन गोल में नहीं बदल सकी. भारतीय गोलकीपर सूरज करकेरा की भी दाद देनी होनी जिन्होंने कई बेहतरीन शॉट बचाए. चौथे ही मिनट में मार्क एपेल ने कप्तान मैट्स ग्रामबुश को सर्कल के भीतर गेंद सौंपी, लेकिन उनके शॉट को सूरज ने बखूबी बचाया. जर्मनी को पहला पेनल्टी कॉर्नर 14वें मिनट में मिला, जिस पर निकलस ब्रूंस पहले और रिबाउंड शॉट पर भी गोल नहीं कर सके. इसके पांच मिनट बाद मिले दो पेनल्टी कॉर्नर भी बेकार गए.

भारत ने जवाबी हमले पर आक्रामक मूव बनाया और सर्कल के भीतर गेंद लेकर अनुभवी स्ट्राइकर एसवी सुनील आगे निकले और इस बार गोल करने में कोई चूक नहीं की. उधर जर्मनी का पेनल्टी कॉर्नर चूकने का सिलसिला जारी रहा और ब्रेक से पहले उसने तीन और मौके गंवाए. भारत की बढ़त दोगुनी हो जाती, लेकिन ब्रेक से पांच मिनट पहले सर्कल के भीतर सुमित और आकाशदीप से मिली गेंद पर सुनील का निशाना चूक गया.

ब्रेक के बाद तीसरे ही मिनट में आकाशदीप का गोल के सामने से सीधा शॉट जर्मन गोलकीपर तोबियास वाल्टर ने बचा लिया. जर्मनी के लिए बराबरी का गोल तीन मिनट बाद एपेल ने किया जो मूलत: गोलकीपर हैं, लेकिन इस मैच मे उन्हें बतौर सेंटर फारवर्ड खेलना पड़ा. ब्रूंस ने सर्कल के भीतर कप्तान मैट्स को गेंद सौंपी जिनसे मिले पास पर एपेल ने गोल दागा. इस बीच जर्मनी को कुछ मिनट नौ खिलाड़ियों के साथ खेलना पड़़ा जब डैन एंगुयेन को ग्रीन कार्ड दिखाया गया.

भारत को मैच का पहला पेनल्टी कार्नर 41वें मिनट में मिला. आखिरी क्वार्टर में भारत ने जबर्दस्त आक्रामक खेल दिखाते हुए दो मिनट के भीतर तीन पेनल्टी कार्नर हासिल किए जिसमें से तीसरे पर हरमनप्रीत सिंह ने गोल करके भारत को बढ़त दिला दी.