view all

Hockey World Cup 2018: क्या भारतीय हॉकी में फिर दिखेगा नया कोच, हरेंद्र के लिए मुश्किलें

खराब अंपायरिंग के मुद्दे पर हरेंद्र को पूर्व हॉकी इंडिया अध्यक्ष और वर्तमान एफआईएच अध्यक्ष नरिंदर बत्रा से नहीं मिला समर्थन

Shailesh Chaturvedi

भारतीय हॉकी में एक ही चीज निरंतर है, वो है बदलाव. वो भी अच्छे के लिए तो नहीं. अगर आप भारतीय हॉकी टीम के कोच हैं, तो हमेशा तलवार आपके सिर पर है. हरेंद्र सिंह के लिए फिलहाल ऐसा ही लग रहा है. भले ही 24 साल में भारत ने वर्ल्ड कप की अपनी सबसे अच्छी पोजीशन हासिल की हो. भले ही एशियन गेम्स के बाद हुई तमाम उठापटक के बीच टीम ने तैयारी की हो. भले ही चोट की समस्या टीम पर हावी रही हो. उसके बाद टीम के प्रदर्शन को हॉकी इंडिया किस तरह देख सकती है, इसके संकेत पिछले एक-दो दिन की घटनाओं से मिलते हैं.

Hockey World Cup 2018: अंपायरों पर भड़के हरेंद्र, कहा- इस साल दूसरे बड़े टूर्नामेंट में अंपायरिंग की वजह से हारे


खासतौर पर हरेंद्र ने जिस तरह अंपायरिंग को निशाना बनाया है, वो एक बड़ा मुद्दा बन सकता है. हरेंद्र ने नेदरलैंड्स के खिलाफ मैच में अंपायरिंग पर निशाना साधा था. इसमें कोई शक नहीं कि आखिरी क्वार्टर के दस मिनट अंपायरिंग का स्तर बहुत खराब था. यहां तक कि प्रोडक्शन टीम से जुड़े लोगों ने इस बात की पुष्टि की कि उन्होंने अपने रिव्यू में देखा कि स्तर कैसा था. रिक चार्ल्सवर्थ अपने कॉलम में लिख चुके हैं कि स्तर खराब था. इसके बावजूद एफआईएच इसे स्वीकार करने को राजी नहीं है. एफआईएच के सीईओ थियरी वील ने साफ किया कि रिव्यू अंपायरिंग का नहीं, उन कमेंट्स का होगा, जो अंपायरिंग के खिलाफ किए गए हैं.

थियरी वील की टिप्पणी से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता. लेकिन इसके बाद एफआईएच अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने कहा कि स्पोर्ट्समैन स्पिरिट होना जरूरी है. यह अलग बात है कि किसी भारतीय खेल फेडरेशन में ‘खेल भावना’ शायद ही कभी देखी गई हो. बत्रा भारतीय ओलिंपिक संघ के भी अध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा, ‘टूर्नामेंट खत्म होने के बाद एक बार दिल्ली पहुंचकर मैं ओलिंपिक फेडरेशन के अध्यक्ष के तौर पर अपना कमेंट दूंगा.’

दरअसल, बत्रा की टिप्पणी है, जो हरेंद्र के भविष्य पर सवाल उठाने के लिए काफी है. हॉकी इंडिया में भले ही अब बत्रा नहीं हैं, लेकिन अब भी हॉकी इंडिया के फैसलों पर उनका असर साफ दिखाई देता है. यह भी दिलचस्प है कि खुद बत्रा रियो ओलिंपिक्स से लेकर तमाम बार भारतीय एथलीट्स के साथ हो रहे भेदभाव पर सवाल उठाते रहे हैं. लेकिन इस बार हरेंद्र के सवालों पर वो अलग रुख लेते दिखे हैं.

इससे पहले, हरेंद्र और टीम के मैनेजर क्रिस सिरिलो अंपायर्स मैनेजर्स मीटिंग में गए. वहां अंपायरिंग के फैसलों पर चर्चा भी हुई. हाईलाइट्स और रिव्यू से साफ नजर आता है कि भारत को एक या दो पेनल्टी कॉर्नर नहीं दिए गए. मनप्रीत को रफ टैकल किए जाने के बावजूद विपक्षी टीम को कार्ड मिलने के बजाय उन्हें फ्री हिट दी गई. एक जगह चिंगलेनसना को गिराने के बावजूद अंपायर ने कोई फैसला नहीं लिया.

एफआईएच अध्यक्ष और सीईओ से यह भी सवाल पूछा गया कि क्या वॉलिंटयर के तौर पर अंपायर्स को लाना सही है? हालांकि इस पर दोनों का जवाब था कि वे भले ही वॉलंटियर्स हों, लेकिन उन्हें चुने जाने का प्रोसेस बहुत ही प्रोफेशनल है.

इन सबके बीच वर्ल्ड कप खत्म होने का इंतजार किया जा रहा है. इसके बाद हॉकी इंडिया के रिव्यू में हरेंद्र हिस्सा होंगे. इसमें कोई शक नहीं कि हरेंद्र को अगर जारी रखने को कहा भी जाता है, तो वो अपने पसंद का सपोर्ट स्टाफ मांगेंगे. लेकिन इससे पहले हॉकी इंडिया की तरफ से मिल रहे संकेतों की तरफ नजर डाली जाए, तो लगता है कि उनके लिए रास्ता आसान नहीं होने वाला.