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पदक नहीं टाइमिंग के लिए दौड़ती है स्टार एथलीट हिमा दास

इस साल के अपने शानदार प्रदर्शन के लिए हिमा दास को अर्जुम पुरस्कार दिया गया है

Bhasha

विश्व स्तर की प्रतियोगिता में ट्रैक स्पर्धाओं में गोल्ड मेडल जीतने पहली भारतीय महिला एथलीट हिमा दास जब ट्रैक पर उतरती हैं तो उनका लक्ष्य पदक नहीं बल्कि अपनी ‘टाइमिंग’ में सुधार करना होता है.

फिनलैंड के तम्पारे में आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 400 मीटर में सोने का तमगा जीतने वाली 18 वर्षीय हिमा ने जकार्ता एशियाई खेलों में महिलाओं की चार गुणा 400 मीटर में गोल्ड तथा 400 मीटर की व्यक्तिगत स्पर्धा और मिक्स्ड चार गुणा 400 मीटर में सिल्वर मेडल जीते. दिलचस्प बात यह है कि छह महीने पहले तक यह उनकी मुख्य स्पर्धा नहीं थी.


इस साल के अपने शानदार प्रदर्शन के लिए अर्जुन पुरस्कार पाने वाली हिमा 400 मीटर को अब अपनी मुख्य स्पर्धा मानती हैं जिसमें वह अपने राष्ट्रीय रिकॉर्ड में निरंतर सुधार करना चाहती हैं.

हिमा ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में अर्जुन पुरस्कार हासिल करने के बाद कहा, ‘मेरा लक्ष्य अपने समय में लगातार सुधार करना है. मैं टाइमिंग के लिए दौड़ती हूं, पदक के लिए नहीं.’

उन्होंने दार्शनिक अंदाज में कहा, ‘अगर मेरी टाइमिंग बेहतर होगी तो पदक मुझे खुद ही मिल जाएगा. मैं खुद पर पदक का दबाव नहीं बनाती. इसलिए मेरा लक्ष्य पदक नहीं पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन करना होता है.’

असम की इस एथलीट ने फिनलैंड में 51.46 सेकेंड का समय निकाला था लेकिन जकार्ता एशियाई खेलों में वह 400 मीटर में दो बार राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़ने में सफल रही. उन्होंने हीट में 51.00 सेकेंड का समय निकालकर मनजीत कौर (51.05) का 14 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा और फिर मुख्य दौड़ में 50.79 सेकेंड के साथ अपने रिकॉर्ड में सुधार किया.

हिमा ने कहा, ‘मुझे रजत पदक मिला लेकिन मैंने अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया, इसलिए मैं निराश नहीं थी.’ उन्होंने कहा, ‘मैंने छह महीने पहले ही प्रतियोगिताओं में 400 मीटर में दौड़ना शुरू किया था लेकिन मैं काफी पहले से इसमें अभ्यास कर रही थी.’