view all

GST : आखिरकार टूटी खेल मंत्रालय की नींद, वित्त मंत्रालय से की खेलों पर टैक्स कम करने की गुजारिश

खेलकूद के सामान पर अधिकतम पांच फीसदी टैक्स की गुजारिश

Sumit Kumar Dubey

एक देश एक टैक्स के नारे के साथ इस साल एक जुलाई लागू हुए गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी जीएसटी से देश की अर्थ व्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा, इसका नतीजा आना तो बाकी है. लेकिन जीएसटी से देश में खेलों की दशा पर विपरीत असर पड़ना तय लग रहा है. खेल के क्षेत्र में जीएसटी के कारण बढ़ी हुई टैक्स की दरों के खिलाफ हो रहे विरोध के बाद खेल मंत्रालय की नींद भी टूट गई है. खेल सचिव इंजेती श्रीनिवास ने वित्र मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखकर खेल के सामान और खेल सेवाओं पर जीएटी के चलते लगने वाले भारी-भरकम टैक्स को कम करने की गुहार लगाई है.

वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव हसमुख अधिया को लिखे पत्र में खेल सचिव ने आशंका जताई है कि जीएसटी के कारण देश में खेलों पर विपरीत असर पड़ेगा और इससे खेलों के विकास में देश पिछड़ जाएगा.


फर्स्टपोस्ट हिंदी के पास इस चिट्ठी की एक प्रति मौजूद है. राजस्व सचिव को लिखे इस पत्र में इंजेती श्रीनिवास ने खेलों से जुड़े सामान पर टैक्स की दर को पांच फीसदी तक ही रखने की गुजारिश की है.

खेल सचिव ने इस चिट्ठी में वित्त मंत्रालय को मोदी सरकार के ‘खेलो इंडिया ‘ अभियान की याद दिलाते हुए लिखा है, 'खेलो इंडिया अभियान के तहत खेल मंत्रालय, शिक्षा विभाग के साथ मिलकर खेल और शारीरिक शिक्षा को कक्षा एक से कक्षा 10 तक अनिवार्य बनाने के लिए जुटा हुआ है. राष्ट्रीय खेल नीति के लक्ष्यों को पाने के लिए खेलो इंडिया अभियान के दौरान नेशनल स्कूल गेम्स और नेशनल यूनिवर्सिटी गेम्स आयोजित किए जाएंगे. इस लिहाज से जरूरी है कि खेलों से जुड़े सामान और सेवाओं पर बेहद कम दर का टैक्स लगाया जाए ताकि सभी भारतीय और खासतौर से स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राएं आसानी से खेलकूद का सामान खरीद सकें. लिहाजा खेलकूद के सामान पर पांच फीसदी से ज्यादा टैक्स नहीं लगना चाहिए.’

इस चिट्ठी में उन्होंने राजस्व सचिव को याद दिलाया है कि इससे पहले वैट कानून के तहत खेल के सामान पर कस्टम ड्यूटी के अलावा पांच फीसदी ही टैक्स लगता था. कई मामलों में कस्टम ड्यूटी भी माफ होती थी.

खेलों पर पड़ी है जीएसटी की मार

वित्त मंत्रालय की ओर से हालांकि अब तक इसका कोई जवाब नहीं आया है. जीएसटी के अमल में आने के बाद खेलों से जुड़ी तमाम वस्तुएं 12 से 28 फीसदी तक के टैक्स के दायरे में आ गईं हैं.

हाई जंप पोल, शॉट पुट, जैवलिन, बॉक्सिंग ग्लव्स, जिम्नास्टिक्स के लिए सामान, स्विमिंग गीयर जैसी खेलों के लिए जरूरी चीजें 28 फीसदी टैक्स की श्रेणी में आ गई हैं. योग मैट, जिम मशीन, स्किपिंग रोप, डंबबल्स, ट्रेडमिल जैसे सामान भी 28 फीसदी की श्रेणी में है. यही नहीं खेलों के लिए जूते भी अब ज्यादा टैक्स की श्रेणी में हैं. अगर कोई संस्था किसी काबिल छात्र को हॉकी स्टिक, क्रिकेट बैट, रैकेट या फुटबॉल जैसी चीज देती है तो वह भी सर्विस टैक्स के दायरे में होगा.

शतरंज और कैरम बोर्ड अब 12 फीसदी से 28 फीसदी टैक्स के दायरे में आ गए हैं. खेल सचिव की इस चिट्ठी से स्पष्ट है कि अगर खेल के सामान पर इतना ज्यादा टैक्स बरकरार रहता है तो मोदी सरकार की देश में खेलों को बढ़ावा देने वाली योजनाओं का फ्लॉप होना तय है.