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हर तरफ गोपीचंद का जलवा, कहीं शिष्य जीते, कहीं बेटी

सिंगापुर में विनर और रनर अप गोपीचंद के शिष्य, बेटी ने जकार्ता में जीता खिताब

FP Staff

गोपीचंद के लिए मुश्किल ये होगी कि वो नजरें कहां रखें. सिंगापुर, जहां उनके दो शिष्य आपस में खेलने वाले थे. या जकार्ता जहां उनकी बेटी खेलने वाली थीं. ये रविवार कुछ इसी तरह का था. सिंगापुर में पहली बार कोई दो भारतीय किसी सुपर सीरीज फाइनल का हिस्सा बन रहे थे. बी. साई प्रणीत और किदांबी श्रीकांत के बीच फाइनल था.

सिंगापुर सुपर सीरीज के बारे में तो हर किसी को पता है. बी. साई प्रणीत ने शानदार खेल दिखाते हुए किदांबी श्रीकांत को हराया. प्रणीत के लिए ये पहला सुपर सीरीज खिताब थी. 30वीं विश्व वरीयता प्राप्त प्रणीत ने श्रीकांत को 17-21, 21-17, 21-12 से मात दी.


उधर, जकार्ता में इंटरनेशनल जूनियर ग्रांप्री में भी दो भारतीय खिलाड़ी एक-दूसरे के सामने थीं. गायत्री गोपीचंद और सामिया इमाद फारूकी. नाम से आप समझ गए होंगे कि गोपी की बेटी का नाम गायत्री है. गायत्री ने फाइनल जीता. सामिया को हराया. यहां तीसरे स्थान पर रही कवि प्रिया और मेघना रेड्डी भी भारत की हैं.

सुपर सीरीज के वो दोनों और जूनियर लेवल की चारों खिलाड़ी गोपीचंद एकेडमी की हैं. वही गोपीचंद एकेडमी, जहां से निकली सायना नेहवाल ने लंदन ओलिंपिक में कांस्य जीता था. उसके बाद पीवी सिंधु ने रियो ओलिंपिक में रजत जीता है.

गायत्री ने सामिया को 21-11, 18-21, 21-15 से हराया. 56 मिनट के संघर्ष में उन्होंने जीत हासिल की. इन दोनों ने सेमीफाइनल में अपने ही देश की खिलाड़ियों को हराया था. उसके बाद इन दोनों ने मिलकर डबल्स खिताब जीता.

गोपीचंद काफी समय से कहते आ रहे हैं कि भारतीय बैडमिंटन बेहद मजबूत है. उन्होंने लगातार कहा है कि सायना, सिंधु के बाद अगली पीढ़ी तेजी से ऊपर आ रही है. बस, थोड़े इंतजार की जरूरत है. अब अंडर-15 खिताब जीतने वाली उनकी बेटी सहित चारों खिलाड़ियों में भारतीय बैडमिंटन का रोशन भविष्य दिखाई देता है.

वैसे भी पुरुष बैडमिंटन में छह भारतीय खिलाड़ी टॉप 50 में हैं. सबसे ऊपर 14वें नंबर पर अजय जयराम हैं. 27वें नंबर पर एचएस प्रणॉय, 28वें पर समीर वर्मा, 29वें पर किदांबी श्रीकांत और 30वें पर साई प्रणीत हैं. हालांकि अब जीत के बाद उनकी रैंकिंग ऊपर जाएगी. इन पांचों के साथ सौरभ वर्मा हैं, जो 42वें स्थान पर हैं. महिलाओं में सायना नेहवाल और पीवी सिंधु टॉप टेन में हैं ही. इनमें कोई नहीं है, जो कभी न कभी गोपीचंद एकेडमी में न रहा हो. बल्कि ज्यादातर लोग उसी एकेडमी से निकले हैं.