खेल जगत में जब भी इस साल को याद किया जाएगा, बॉक्सिंग की क्वीन मैरीकॉम का नाम जरूर लिया जाएगा. या यूं कहें जब भी मैरी की उपलब्धियों की बात की जाएगी, उसमें 2012 लंदन ओलिंपिक के बाद 2018 का ही नंबर आएगा. जब मैग्निफिसेंट मैरी मैरीगोल्ड बनीं. बॉक्सिंग रिंग में भारत का नाम सबसे उपर किया. भारत को ऐतिहासिक सफलता मिली. विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में रिकॉर्ड तोड़ छठीं बार गोल्ड मेडल जीता. जहां इस साल मैरी विश्व की सबसे सफल मुक्केबाज बनी, वहीं सोनिया चहल ने बॉक्सिंग में भारत के सुनहरे भविष्य की झलक दिखा दी.
मैरीकॉम ने इस साल सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्डन पंच जड़ा और इसके साथ भारत में हुए विश्व चैंपियनशिप में करियर का छठा गोल्ड मेडल और ओवरऑल 7वां मेडल अपने नाम किया. बॉक्सिंग के रिंग में भारत का नाम सबसे उपर किया. इस साल विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर मैरी ने केटी टेलर को पीछे छोड़ने के साथ ही क्यूबा के फेलिक्स सैवॉन के रिकॉर्ड की बराबरी की.
टेलर ने पांच बार विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता. वहीं सैवॉन के नाम इस चैंपियनशिप में छह गोल्ड मेडल है. खिताबी मुकाबले में 35 साल की अनुभवी के सामने 22 साल की यूक्रेन की हेना ओखोटा की चुनौती थी, जिसके कारण ज्यादातर लोगों के मानना था कि मैरी के लिए पोडियम पर सबसे उपर खड़ा होना मुश्किल है, लेकिन भारत की इस लीजेंड ने सबको गलत साबित करते हुए खिताब जीता और वह भी एक तरफा मुकाबले में. मैरी ने हेना को 5-0 के अंतर से हराकर साबित कर दिया कि जैसे जैसे उनकी उम्र बढ़ रही है, विपक्षी मुक्केबाजों के लिए उन्हें हराना और भी मुश्किल हो रहा है.
साल 2018 मैरीकॉम ने लिए सफल रहा और अब आने वाले दो साल मैरी के लिए के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होने वाले हैं. 2019 में पहले उन्हें ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई करना होगा और इसमें सफल होने के बाद 2020 टोक्यो ओलिंपिक उनके लिए करियर का सबसे बड़ा लक्ष्य होगा. 2012 लंदन ओलिंपिक में मैरी ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था.
इस साल मिली भारत भविष्य की मैरी
2018 को मैरी ने भारत के लिए यादगार बना दिया. वहीं इसी साल भारत को भविष्य की मैरीकॉम भी मिल गई. दिल्ली के हुए विश्व चैंपियनशिप में सोनिया चहल ने 57 किग्रा में सिल्वर मेडल जीता. खिताबी मुकाबले में उन्हें जर्मनी ओमेला ने हालांकि मात दी थी, लेकिन भारत की इस युवा खिलाड़ी ने जर्मन खिलाड़ी को कड़ी टक्कर दी थी और यह दिखा दिया था कि डेब्यू में उन्हें भले ही सिल्वर मिला हो, लेकिन इस रिंग में उनका सफर अभी काफी लंबा है, जिसमें वह कई गोल्डन पंच जड़ने का दम रखती हैं.