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अलविदा 2018: पिछले साल के हीरो ये खिलाड़ी इस बार रहे फ्लॉप!

सुशील कुमार, साक्षी मलिक और गगन नारंग जैसे ओलिंपिक मेडलिस्ट देश के लिए वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाए जैसी उम्मीद थी

Riya Kasana

यह साल खेल जगत के लिए काफी अहम था. कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स के अलावा हॉकी वर्ल्ड कप जैसे कई अहम टूर्नामेंट इस साल हुए थे. भारत की ओर से जहां कई नए सितारे मेडल जीतकर अपनी पहचान बनाई वहीं कई बड़े सितारे उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके.

ओलिंपिक मेडलिस्ट रहे बेदम


सुशील कुमार और साक्षी मलिक जैसे ओलंपिक पदक पहलवान लय पाने के लिए जूझते दिखे. ओलंपिक की बात करें तो भारत के लिए दो व्यक्तिगत पदक जीतने वाले एकमात्र पहलवान सुशील कुमार और ओलंपिक पदक जीतने वाली देश की पहली और एकमात्र महिला पहलवान साक्षी मलिक के लिए यह साल निराशाजनक रहा.

सुशील ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जरूर जीता लेकिन वहां उन्हें टक्कर देने वाला को कोई दमदार पहलवान नहीं था. साक्षी कॉमनवेल्थ गेम्स के साथ एशियाई खेलों में भी प्रभाव छोड़ने में नाकाम रही. गोल्डकोस्ट में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रॉन्ज जीतने वाली साक्षी ने भी माना कि उन्हें मानसिक तौर पर और मजबूत होने की जरूरत है. सुशील एशियाई खेलों के पहले ही दौर में हारकर बाहर हो गए लेकिन वह इस बात को मानने को तैयार नहीं है कि उनका दमखम में कमी आई है. वह टोक्यो ओलिंपिक में एक बार फिर से अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं.

शूटिंग स्टार्स का सही नहीं लगा निशाना

जीतू ने 2014 एशियन गेम्स में पुरुषों की 50 मीटर पिस्टल इवेंट में स्वर्ण पदक जीता था. हालांकि उसके बाद से ही वह लागातर जूझ रहे हैं. उन्होंने गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ में भी 10 मीटर एयर पिस्टल में गोल्ड मेडल हासिल किया लेकिन, उसके बाद से वह बेहद खराब दौर से गुजर रहे हैं और उन्हें एशियन गेम्स के लिए चुनी गई भारतीय निशानेबाजी टीम से भी बाहर होना पड़ा था. उनके इसी खराब प्रदर्शन के चलते जीतू को टॉप्स लिस्ट से भी बाहर होना पड़ा. जीतू टोक्यो ओलंपिक के पहले कोटा टूर्नामेंट में क्वालिफाई करने में असफल रहे थे.

यही हाल गगन नारंग का भी रहा. गगन नारंग कॉमनवेल्थ गेम्स में देश को मेडल जीताने में नाकाम रहे. 0 मीटर एयर राइफल प्रोन में अपना जलवा नहीं दिखा सके. इसके बाद वह एशियन गेम्स में भी हिस्सा नहीं ले सके. लंदन ऑलिंपिक्स के ब्रॉन्ज मेडलिस्ट के लिए साल अच्छा नहीं रहा.

नहीं दिखा श्रीकांत का दम

नंबर एक खिलाड़ी रह चुके किदांबी श्रीकांत के लिए भी यह साल अच्छा नहीं रहा. उन्होंने पिछले साल जिस तरह से इंडोनेशिया ओपन, ऑस्ट्रेलिया ओपन, डेनमार्क ओपन और फ्रेंच ओपन के खिताब जीतकर धमाका किया था, उससे लगा था कि वह इस साल धमाका मचाकर रख देंगे. लेकिन इस बार वह लगातार निराशाजनक प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी रहे हैं.

वह कॉमनवेल्थ गेम्स में फाइनल तक चुनौती पेश करने के अलावा किसी टूर्नामेंट में फाइनल तक भी नहीं पहुंच सके. इन खराब प्रदर्शनों की वजह से ही वह रैंकिंग में आठवें स्थान पर खिसक गए हैं. विश्व में 19वीं रैंकिंग के एचएस प्रणॉय और 17वीं रैंकिंग के बी साई प्रणीत भी ऐसा कुछ कर सके जिसके साल में चर्चा होती. समीर वर्मा ने जरूर टुकड़ों में कुछ अच्छा प्रदर्शन किया. उन्होंने स्विस ओपन, हैदराबाद ओपन और सैयद मोदी इंटरनेशनल खिताब जीते. यही नहीं उन्होंने स्विस ओपन खिताब जीतने के दौरान क्वार्टर फाइनल में विश्व के नंबर एक जापानी खिलाड़ी केंटो मोमोटा को हराया.