view all

Hockey World Cup 2018, India Vs Netherlands: इतिहास दूसरी तरफ है, लेकिन क्या भविष्य भारत के साथ होगा

भारतीय कोच हरेंद्र सिंह ने कहा कि इतिहास वो सिर्फ पढ़ने के लिए इस्तेमाल करते हैं, समझने के लिए नहीं टीम के तौर पर वो इतिहास रचने आए हैं

Shailesh Chaturvedi

एक तरफ वो है, जिसे जीतने की आदत है. दूसरी तरफ वो है, जिसके हाथ में वर्ल्ड कप देखे पीढ़ी बीत चुकी है. नेदरलैंड्स और भारत जब भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम में आमने-सामने होंगे, तो इतिहास विपक्षी टीम के साथ होगा. लेकिन जैसा भारतीय कोच हरेंद्र सिंह ने कहा कि इतिहास वो सिर्फ पढ़ने के लिए इस्तेमाल करते हैं, समझने के लिए नहीं. टीम के तौर पर वो इतिहास रचने आए हैं.

वर्ल्ड कप में एक-दूसरे के खिलाफ दोनों टीमें छह बार खेली हैं. हर बार नेदरलैंड्स के हिस्से ही जीत आई है. पिछली बार दोनों टीमें 2006 यानी 12 साल पहले आमने-सामने थीं. तब भारत को 1-6 से शिकस्त मिली थी. भारत के लिए एकमात्र गोल दिलीप टिर्की ने किया था. हालांकि ये सच है कि नेदरलैंड्स टीम ऐसी नहीं, जिसे हराया नहीं जा सके. पिछले कुछ समय में भारत इस टीम के खिलाफ एकतरफा मुकाबला नहीं हारा है. पिछला मैच चैंपियंस ट्रॉफी में हुआ था. लीग मुकाबले में भारत ने नेदरलैंड्स को बराबरी पर रोका था.


यह भी पढ़ें- Hockey world cup 2018, QF, Ind vs Ned : कब, कहां और कैसे देख सकते हैं मैच, ऑनलाइन स्ट्रीमिंग हॉटस्टार पर

आक्रामक हॉकी खेलते हैं नेदरलैंड्स

भारतीय टीम वैसे भी नेदरलैंड्स जैसी टीम के खिलाफ खेलकर ज्यादा खुश होगी, क्योंकि वे आक्रामक हॉकी खेलते हैं. भले ही ऑस्ट्रेलिया की तरह नहीं, लेकिन इतनी आक्रामक, जहां विपक्षी के लिए भी मूव और गैप ढूंढना उतना मुश्किल नहीं होता. ऐसे में भारत के आक्रामक खेल के लिए भी नेदरलैंड्स का होना बुरा नहीं है. हरेंद्र यह कह ही चुके हैं कि अगर आप वर्ल्ड कप खेल रहे हो, तो बड़ी टीम से खेलना ही पड़ेगा. उन्होंने कहा, ‘पता नहीं, कहीं 16 तारीख की शाम को आप हमें नंबर वन और उन्हें हमसे नीचे मानने लगें’

16 दिसंबर को वर्ल्ड कप फाइनल होना है. लेकिन अभी समय फाइनल नहीं, क्वार्टर फाइनल का है. समय, एक वक्त में एक मैच पर नजर रखने का है. भले ही हरेंद्र कहें कि इतिहास सिर्फ पढ़ने के लिए है. उनकी बात सही भी है कि इतिहास यह फैसला नहीं करता कि भविष्य कैसा होगा. लेकिन इतिहास से सबक लेकर भविष्य जरूर बेहतर किया जा सकता है.

भारत के लिए नहीं है गलतियों की गुंजाइश

सबसे पहले नेदरलैंड्स का इतिहास. 12 साल पहले पिछली बार जब वर्ल्ड कप में नेदरलैंड्स ने भारत को छह गोल से हराया था, तो उसमें एक भी मैदानी गोल नहीं था. नेदरलैंड्स और पेनल्टी कॉर्नर का अटूट रिश्ता रहा है. लेकिन खास बात यह है कि रिश्ता इस वक्त टूटता दिखाई दे रहा है. इस वर्ल्ड कप में अब तक नेदरलैंड्स पेनल्टी कॉर्नर को लेकर ज्यादा कामयाबी नहीं पा सकी है. यह फैक्ट यकीनन भारतीय खेमे में रणनीति बनाते समय चर्चा का विषय रहा होगा.

चर्चा को विषय यह भी रहा होगा कि हर मैच में कुछ समय ऐसा रहा है, जब भारतीय टीम का खेल डगमगाया है. इसमें कोई शक नहीं कि पूरे 60 मिनट एक पेस से खेलना संभव नहीं है. लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि पेस धीमा किया जा सकता है, लेकिन गलतियों की गुंजाइश नहीं है. कम से कम नॉक आउट मैच में तो नहीं. हरेंद्र ने कहा भी, ‘मैंने टीम को कहा है कि मैच 60 नहीं, 74 मिनट का है. जो 14 मिनट ब्रेक के हैं, उसमें  भी इंटेंसिटी कम नहीं होनी चाहिए.’

यह भी पढ़ें- Hockey World Cup 2018: घरेलू दर्शकों के दबाव में नहीं आएगी नेदरलैंड्स, कर ली है तैयारी

अपनी कमियों को कम से कम करना और विपक्षी की कमियों का फायदा उठाना, यही वो दो पॉइंट हैं, जो मैच का फैसला करने वाले हैं. यह कहना वाकई आसान है कि अपनी गलतियों को कम करेंगे. लेकिन मैदान पर यह इतना आसान नहीं होता. हालांकि अगर आप वर्ल्ड कप का क्वार्टर फाइनल खेल रहे हों, तो आप मुश्किल बातों के लिए ही तैयार रहेंगे. यहां कुछ भी आसानी से तो नहीं मिलने वाला. उसके लिए हरेंद्र की टीम तैयार है. लेकिन तैयारी को हकीकत में बदलने के लिए नया इतिहास रचना होगा.