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Hockey world cup 2018, Ind vs SA : भारतीय टीम के आत्मविश्वास के लिए जरूरी देशवासियों के सामने पहली जीत

भारतीय टीम घरेलू दर्शकों की जबर्दस्त हौसलाअफजाई के बीच दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बुधवार को पूल सी के मुकाबले में अपने अभियान का आगाज करेगी. ये मैच टूर्नामेंट में भारत की राह तय करेगा

FP Staff

हॉकी विश्व कप के लिए भुवनेश्वर का कलिंगा स्टेडियम तैयार है. सबकी नजरें मेजबान भारतीय टीम पर होंगी. हालांकि भारतीय हॉकी टीम का इस साल किस्मत ने अधिक साथ नहीं दिया है. इसी कारण बड़े टूर्नामेंटों में उसे बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी. ऐसे में मुख्य कोच हरेंद्र सिंह की भारतीय टीम विश्व कप जीतकर खिताबी जीत का 43 साल का सूखा समाप्त करते हुए सकारात्मक रूप से साल का समापन करना चाहेगी. भारतीय टीम अपने घर में भले खेल रही हो लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करना उसके लिए बिल्कुल भी आसान नहीं होगा.

आठ बार की ओलिंपिक चैंपियन भारतीय टीम ने 1975 में एकमात्र विश्व कप जीता था. जब अजित पाल सिंह और उनकी टीम ने इतिहास रच डाला था. आत्मविश्वास से भरी भारतीय टीम घरेलू दर्शकों की जबर्दस्त हौसलाअफजाई के बीच दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बुधवार को पूल सी के मुकाबले में अपने अभियान का आगाज करेगी. ये मैच टूर्नामेंट में भारत की राह तय करेगा. इसके अलावा पहले दिन शुरुआती मैच में बेल्जियम का सामना कनाडा से होगा.


1975 में विश्व कप खिताब जीतने के बाद से एशियाई धुरंधर भारतीय टीम नेदरलैंड्स, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया के स्तर तक पहुंचने में नाकाम रही. पिछले चार दशक से यूरोपीय टीमों ने विश्व हॉकी पर दबदबा बनाए रखा है.

43 सालों से नहीं जीता है विश्व कप का पदक

भारत ने 1975 के बाद सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन मुंबई में 1982 में हुए विश्व कप में किया जब वह पांचवें स्थान पर रहा था. पिछले 43 साल में विश्व कप का कोई पदक भारत की झोली में नहीं गिरा है. विश्व रैंकिंग में पांचवें स्थान पर काबिज भारत इस बार पदक जीतकर उस कसक को दूर करना चाहेगा. वैसे यह उतना आसान भी नहीं होगा, क्योंकि उसे दो बार की गत चैंपियन ऑस्ट्रेलिया, नेदरलैंड्स, जर्मनी और ओलिंपिक चैंपियन अर्जेंटीना जैसी टीमों से पार पाना होगा.

अच्छे प्रदर्शन की अपेक्षाओं का भी भारी दबाव

इसके अलावा अच्छे प्रदर्शन की अपेक्षाओं का भी भारी दबाव हरेंद्र सिंह की टीम पर होगा. पिछली बार 2010 में दिल्ली में हुए विश्व कप में भारत आठवें स्थान पर रहा था. अभी तक नौ देशों ने विश्व कप की मेजबानी की है जिनका प्रदर्शन अपनी मेजबानी में अच्छा नहीं रहा है. दो साल पहले लखनऊ में जूनियर टीम को विश्व कप दिलाने वाले कोच हरेंद्र एशियन गेम्स में स्वर्ण बरकरार नहीं रख पाने के कारण दबाव में हैं. उनके लिए यह करो या मरो का टूर्नामेंट है और अच्छा प्रदर्शन नहीं करने पर उनकी नौकरी जा सकती है.

हरेंद्र ने पीटीआई से कहा, ‘ एशियन गेम्स के सेमीफाइनल में मलेशिया से मिली हार से हम उबर चुके हैं. खिलाड़ी आक्रामक हॉकी खेल रहे हैं और अच्छे नतीजे दे सकते हैं. इसके लिए हमें मैच दर मैच रणनीति बनानी होगी. अपने देश में खेलने को हम दबाव नहीं बल्कि प्रेरणा के रूप में लेंगे.’

जूनियर टीम के सात खिलाड़ी टीम में

हरेंद्र ने विश्व कप विजेता जूनियर टीम के सात खिलाड़ियों को मौजूदा टीम में रखा है, जबकि कप्तान मनप्रीत सिंह, पीआर श्रीजेश, आकाशदीप सिंह और बीरेंद्र लाकड़ा भी टीम में हैं. ड्रैग फ्लिकर रूपिंदर पाल सिंह को टीम से बाहर किया गया, जबकि स्ट्राइकर एसवी सुनील फिटनेस कारणों से बाहर हैं.

बेल्जियम से सतर्क रहने की जरूरत

सोलह देशों के टूर्नामेंट में भारत, दक्षिण अफ्रीका, बेल्जियम और कनाडा पूल सी में हैं. दुनिया की तीसरे नंबर की टीम बेल्जियम से भारत को सतर्क रहने की जरूरत है, जबकि दक्षिण अफ्रीका की रैंकिंग 15 और कनाडा की 11 है. बेल्जियम के खिलाफ मैच पूल चरण में असल चुनौती होगा, जिसमें जीतकर भारत सीधे क्वार्टर फाइनल में जगह बनाना चाहेगा ताकि क्रासओवर नहीं खेलना पड़े. बेल्जियम से सामना दो दिसंबर को और कनाडा से आठ दिसंबर को होगा. सोलह साल बाद विश्व कप में सोलह टीमें हैं जिन्हें चार चार के पूल में बांटा गया है. हर पूल से शीर्ष टीम क्वार्टर फाइनल में खेलेगी जबकि दूसरे और तीसरे स्थान की टीमें क्रॉसओवर खेलकर अंतिम आठ में जगह बनाएंगी.

(एजेंसी इनपुट के साथ)