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CWG 2018 : गोल्ड कोस्ट में अपना शत प्रतिशत देना चाहते हैं सुशील कुमार

तीसरे ओलंपिक पदक का ‘अधूरा’ सपना पूरा करने की कवायद में पहला कदम होंगे ये खेल

FP Staff

नाम: सुशील कुमार

उम्र: 34


खेल: कुश्ती

कैटेगरी: फ्रीस्टाइल, 74 किलो वर्ग

पिछला कॉमनवेल्थ गेम्स प्रदर्शन : 2010 दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण  (66 किग्रा),  2014 ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण, (74 किग्रा)

इसमें कोई शक नहीं कि सुशील कुमार भारतीय खेलों में कुश्ती के पोस्टर बॉय हैं. वह कॉमनवेल्थ गेम्स में गत दो बार के स्वर्ण पदक विजेता है. वह ओलिंपिक खेलों में रजत (2008 बीजिंग) और कांस्य पदक विजेता (2012 लंदन) हैं. 2010 में सुशील ने मास्को विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था. एशियन गेम्स (2006 दोहा) का कांस्य पदक भी उन्होंने अपने नाम किया हुआ है. स्टार पहलवान सुशील कुमार को कुछ साबित नहीं करना है, लेकिन वह बहुत कुछ कर दिखाना चाहते हैं और उनके लिए अगले महीने होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स तीसरे ओलंपिक पदक का ‘अधूरा’ सपना पूरा करने की कवायद में पहला कदम है.

पता चल जाएगा कितना है दम

सुशील को उम्मीद है कि इन खेलों से उन्हें पता चल जाएगा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह कहां ठहरते हैं. उन्होंने प्रेस ट्रस्ट से बातचीत में कहा, ‘ मैने जब से कुश्ती खेलना शुरू किया, तभी से मेरा लक्ष्य देश के लिए पदक जीतने का रहा है. मैंने मैट पर हमेशा अपना शत प्रतिशत दिया है. मैं लोगों की मानसिकता नहीं बदल सकता. मुझे किसी को कुछ साबित नहीं करना है.’

सुशील के शब्दों में छलकती इस तल्खी का कारण चयन से जुड़े अतीत के विवाद हैं. रियो ओलिंपिक से ठीक पहले नरसिंह यादव को औपचारिक ट्रायल के बिना सुशील पर तरजीह दी गई. डोप टेस्ट में नाकाम रहने के कारण नरसिंह बाद में निलंबित  गए, लेकिन सुशील भी लगातार तीसरा ओलिंपिक पदक हासिल करने का मौका नहीं पा सके. कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए भी उनका चयन तनावपूर्ण ट्रायल के बाद हुआ जब उनके प्रतिद्वंद्वी प्रवीण राणा और उनके समर्थक आपस में भिड़ गए थे.

ओलिंपिक में स्वर्ण जीतना है सपना 

सुशील ने कहा, ‘ मैंने दो ओलिंपिक पदक जीते हैं. मुझे किसी को कुछ साबित नहीं करना है, लेकिन मेरा एक अधूरा सपना है. मैं 2012 में उसे पूरा करने के करीब पहुंचा. मेरा मानना है कि मुझे ओलिंपिक में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना है.’ इसमें कोई शक नहीं कि वह देश के महानतम पहलवान बन चुके हैं, लेकिन ढ़ती उम्र उनके सपनों को आड़े आ सकती है. लेकिन सुशील उसे कोई बाधा नहीं मानते. भगवान करे ऐसा ही हो.

(कोट भाषा से लिए गए हैं)