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CWG 2018 : कॉमनवेल्थ गेम्स में पदकों का 'चौका' लगाने उतरेंगी सीमा पूनिया

उन्होंने जब भी इन खेलों में हिस्सा लिया तब पदक जरूर जीता

FP Staff

नाम : सीमा पूनिया

उम्र : 34


खेल : एथलेटिक्स

कैटेगरी : चक्का फेंक (डिस्कस थ्रो)

पिछला कॉमनवेल्थ गेम्स प्रदर्शन : मेलबर्न 2006 में रजत पदक, 2010 दिल्ली में कांस्य और 2014 ग्लास्गो में रजत

सीमा पूनिया कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय एथलीटों में पदक की सबसे मजबूत दावेदार हैं. कॉमनवेल्थ गेम्स के इतिहास में सीमा भारत की सबसे सफल एथलीट रही हैं. उन्होंने जब भी इन खेलों में हिस्सा लिया तब पदक जरूर जीता. सीमा ने सबसे पहले मेलबर्न 2006 में भाग लिया था, जहां उन्होंने रजत पदक जीता. इसके बाद वह 2010 में कांस्य और 2014 में भी रजत पदक जीता. अब वह 34 साल की हैं, लेकिन गोल्ड कोस्ट में होने वाले खेलों में पदक की प्रबल दावेदार हैं. चक्का फेंक (डिस्कस थ्रो) की यह खिलाड़ी भी इन खेलों के अपने अभियान का शानदार अंत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

अपने 20 साल के करियर में सीमा ने तीन ओलंपिक (2004, 2012 और 2016), एक एशियाई खेल (2014) और तीन कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लिया है. गोल्ड कोस्ट में वह आखिरी बार कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लेगी. उनकी निगाह पदकों का चौका लगाने पर भी टिकी है.

डोपिंग के कारण छिन गया था स्वर्ण

हरियाणा के सोनीपत जिले के खेवड़ा गांव में जन्मी सीमा ने 11 साल की उम्र से एथलेटिक्स में प्रवेश कर लिया था. उन्होंने 17 साल की उम्र में विश्व जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में चक्का फेंक में स्वर्ण पदक जीता था, लेकिन डोपिंग का दोषी पाए जाने के कारण उनका पदक छीन लिया गया था. सीमा ने स्यूडोफेडरिन ली थी जिसे जुकाम के उपचार के लिए लिया जाता है. इसके बाद उनका करियर उतार चढ़ाव वाला रहा. ओलंपिक 2012 और 2016 में वह क्वालिफिकेशन दौर में ही बाहर हो गईं, जिसका उन्हें अब भी मलाल है.