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एक अदद नौकरी का तलबगार है कॉमनवेल्थ गेम्स का यह गोल्ड मेडलिस्ट शूटर

पिछले 10 महीने से बेरोजगार शूटर संजीव राजपूत को अब हरियाणा सरकार से है नौकरी की आस, CWG 2018 में रिकॉर्ड बनाकर जीता है गोल्ड मेडल

Sumit Kumar Dubey

गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों की वतन वापसी पर उनको सम्मानित करने का सिलसिला शुरू हो चुका है. एथलीट्स के लिए इनामों और नौकरियों का ऐलान हो चुका है या हो रहा है.  लेकिन इन्हीं गेम्स का एक गोल्ड मेडलिस्ट ऐसा भी है जो पिछले 10 महीनों से नौकरी की तलाश में हैं. यह एथलीट हैं रायफल शूटर संजीव राजपूत.

गोल्डकोस्ट में 50 मीटर एयर रायफल थ्री पोजिशन में 454.5 पॉइंट्स हासिल करके, कॉमनवेल्थ गेम्स का रिकॉर्ड तोड़ते हुए गोल्ड मेडल जीतने वाले संजीव राजपूत शिद्दत के साथ नौकरी खोज रहे हैं.


दरअसर ऐसा नहीं है कि सजीव राजपूत को सिस्टम की खामी चलते नौकरी नहीं मिली है उनका मामला थोड़ा अलग है. इंडियन नेवी में काम कर चुके संजीव गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले भी इंटरनेशनल स्तर पर अपने हुनर का मुजाहिरा कर चुके हैं. संजीव को उनकी कामयाबी के बाद अर्जुन अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है लेकिन साल 2016 में उनपर लगे बलात्कार के एक आरोप ने उनको बेरोजगार बना दिया है.

अदालत में चल रहा है मुकद्मा

दिसंबर 2016 में नेशनल लेवल की एक शूटर ने उनपर बलात्कार का आरोप लगाते हुए मुकद्मा कायम कराया था. यह मामला तो अब अदालत में चल रहा है लेकिन खुद पर लगे इस आरोप की संजीव को भारी कीमत चुकानी पड़ी है.

संजीव ने फर्स्टपोस्ट हिंदी को बताया है कि बलात्कार के इस आरोप के बाद साइ ने बतौर असिस्टेंट शूटिंग कोच उन्हें 8 दिसंबर, 2016 को सस्पेंड कर दिया और उन्हें साइ हेडक्वार्टर की कोचिंग डिवीजन में रिपोर्ट करने को कहा गया. इसके बाद जब मई, 2017 में लगातार तीन टूर्नामेंट्स के लिए भारतीय शूटिंग टीम में उनका चयन हुआ तो उन्होने अपने अधिकारियों के विदेश जाने की अनुमति मांगी, जो मंजूर नहीं हुई. इसके बावजूद संजीव इन टूर्नामेंट में भाग लेने गए और चेक रिपब्लिक से एक मेडल जीत कर भी लौटे. लेकिन साइ ने इसके बाद 26 जून,2017 को उन्हें नौकरी से बर्खास्त दिया.

संजीव बताते हैं कि बर्खास्तगी की वजह बताई गई कि ‘उनका कंडक्ट संतोषजनक नही पाए जाने के चलते उनका करार रद्द किया जाता है.’ संजीव का कहना है उन पर लगा हुआ केस अदालत में चल रहा है तो फिर अदालत के फैसले से पहले ही उन्हें नौकरी से हटाने का फैसला नहीं होना चाहिए था.

नेवी की पेंशन से कर रहे हैं गुजारा

नौकरी जाने के बाद  37 साल के संजीव के पास अपनी शूटिंग पर ध्यान देने के अलावा नई नौकरी को ढूंढने का भी दबाव था.  बीते 10 महीने से संजीव भारतीय नेवी से मिलने वाली अपनी पेंशन के सहारे गुजारा कर रहे हैं. हरियाणा के यमुना नगर के रहने वाले संजीव को अब हरियाणा सरकार से नौकरी मिलने की उम्मीद है. इसी सिलसिले में वह कई बार सरकार के लोगों से मिल चुके हैं लेकिन अब तक उन्हें नौकरी हासिल नहीं हो सकी है.

क्या गोल्ड मेडल से बदलेंगे दिन!

हरियाणा सरकार ने कॉमनेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल लाने वाले राज्य के एथलीट्स को 1.5 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया है. संजीव फिलहाल इसकी कागजी कार्रवाई पूरी करने में जुटे हैं.

इससे पहले भी क़ॉमनवेल्थ गेम्स और एशियम गेम्स में मेडल हासिल कर चुके संजीव को अब उम्मीद है कि गोल्ड कोस्ट में उन्हें मिले गोल्ड के बाद अब शायद हरियाणा सरकार सोच उनके प्रति थोड़ी बदलेगी उनकी बेरोजगारी के दिन खत्म हो जाएंगे.