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CWG 2018: फिजियो की कमी से जूझ रहे वेटलिफ्टर्स दर्द में भी जिता रहे हैं मेडल

कॉमनवेल्थ गेम्स के शुरू होने के ठीक दो दिन पहले सतीश ने इस बात का जिकर अपने ट्विटर हैंडल पर भी किया था

FP Staff

कॉमनवेल्थ खेलों में भारत के वेटलिफ्टर लगातार देश के लिए मेडल जीत रहे हैं. मेडल जीतने के लिए उनकी ललक साफ दिखाई देती है. जीत के बाद की उनकी खुशी भी उनके चेहरे पर साफ दिखाई देती है. लेकिन जो चीज आपके अपने टीवी सेट पर नहीं दिखाई देगी वो है इन वेटलिफ्टरों का दर्द. व्यवस्था से  निराश इन खिलाड़ियों का वो दर्द रह-रहकर सामने आता है. एक वेटलिफ्टर के तौर पर इन खिलाड़ियों की एक अहम जरूरत है फिजियो. इस बार टीम इसी से महरूम है.

बिना फिजियो के कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लेने पहुंची भारतीय वेटलिफ्टिंग टीम बेहद शानदार प्रदर्शन कर रही है. 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने अब तक कुल पांच मेडल जीते हैं जिनमें तीन गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल शामिल है. यह सभी मेडल फिजियो की कमी से जूझ रहे वेटलिफ्टर्स ने भारत के लिए जीते हैं.


कॉमनवेल्थ गेम्स के शुरू होने के ठीक दो दिन पहले सतीश शिवलिंगम ने इस बात का जिक्र अपने ट्विटर हैंडल पर भी किया था. गोल्ड कोस्ट में भारत को तीसरा गोल्ड मेडल जिताने वाले सतीश ट्विटर पर फिजियो की कमी को साझा करने वाले पहले भारतीय वेटलिफ्टर थे. उन्होंने ट्वीट में लिखा 'कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 को शुरू होने में दो दिन बाकी हैं, और इन खेलों में मेडल के सबसे ज्यादा उम्मीदवार होने के वेटलिफ्टिंग में एक भी फिजियो नहीं है.' सतीश ने इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करने को भी कहा.

भारतीय फीजियो को प्रतिस्पर्धा के दौरान खिलाड़ियो से नहीं मिल सकता

दरअसल भारतीय ओलिंपिक संघ के मुताबिक उनके पास वेटलिफ्टिंग फेडरेशन का अनुरोध काफी देर से आया और खेल मंत्रालय के आदेश के अनुसार अधिकारियों की संख्या खिलाड़ियों की संख्या के 33 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. इस वजह से कई सहयोगी स्टाफ के सदस्य आधिकारिक दल का हिस्सा नहीं बन सके. लेकिन खिलाड़ियों की मांग के चलते खेल मंत्रालय और आईओए ने वेटलिफ्टिंग के मैनेजर चंद्रहंस राय की जगह पर फिजियो को भेजे जाने की मंजूरी दे दी थी. और उनका एक्रिडिटेशन कार्ड भी बनवा दिया गया. लेकिन उस कार्ड पर गेम्स विलेज में उनकी एंट्री नहीं हो सकी.

नियमों के मुताबिक बी वर्ग की मान्यता प्राप्त अधिकारियों को एथलीटों से मिलने की इजाजत तो है लेकिन प्रतिस्पर्धा के दौरान नहीं, और न ही वह प्रतिस्पर्धा के दौरान एथलीटों के साथ रह सकते हैं. जबकि एथलीटों को फिजियो की जरूरत इसी समय ज्यादा होती है.

मीराबाई और गुरूराजा ने बयां किया दर्द

फिजियो की कमी से जूझ रहे भारतीय वेटलिफ्टर्स कॉमनवेल्थ खेलों में लगातार शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन दबे-दबे लफ्जों में उनके मुंह से फिजियो की कमीं का दर्द निकल जाता है. भारत को कॉमनवेल्थ गेम्स में पहला गोल्ड दिलाने वाली मीराबाई चानू ने जीतने के बाद कहा था कि प्रतियोगिता में आने से पहले उन्हें पर्याप्त उपचार नहीं मिला, क्योंकि उनके साथ कोई फिजियो नहीं था.

ऐसा ही दर्द कर्नाटक के गुरूराजा ने भी बयां किया, जब उन्होंने कहा 'मुझे चोट लगी है. मेरा फिजियो मेरे साथ नही है, इसलिए मैं घुटने और सायटिक नस का इलाज नहीं करा पाया.' गुरूराजा ने वेटलिफ्टिंग में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता था.