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CWG 2018 : 12 साल की उम्र में भाई ने पहाड़ी पर पहली बार देखा था चानू में छिपी चैंपियन को

बचपन में मीराबाई अपने से चार साल बड़े भाई सैखोम सांतोम्बा मीतेई के साथ पास की पहाड़ी पर लकड़ी बीनने जाती थी

FP Staff

21वें कॉमनवेल्थ गेम्स की वेटलिफ्टिंग 48 किग्रा महिला वर्ग में गोल्ड मेडल विजेता मीराबाई चानू ने बचपन में ही भार उठाने के अपने हुनर का परिचय दे दिया था. 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में 23 साल की उम्र में वेटलिफ्टिंग का रिकार्ड बनाकर गोल्ड मेडल जीतने वाली चानू महज 12 साल की उम्र में अपने बड़े भाई से ज्यादा लकड़ियां आसानी से उठा लेती थी.

मणिपुर की राजधानी इम्फाल से 20 किमी दूर नोंगपोक काकचिंग गांव के गरीब परिवार में जन्मी मीराबाई छह भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं. बचपन में मीराबाई अपने से चार साल बड़े भाई सैखोम सांतोम्बा मीतेई के साथ पास की पहाड़ी पर लकड़ी बीनने जाती थी.


सांतोम्बा ने बताते हैं कि ‘एक दिन मैं लकड़ी का गठ्ठर नहीं उठा पाया, लेकिन मीरा ने उसे आसानी से उठा दिया और वह उसे लगभग दो किमी दूर हमारे घर तक ले आई. तब वह सिर्फ 12 साल की थी.’

मीरा के जीतने के बाद परिवार ने 'थाबल चोंग्बा' कर जश्न मनाया

अब 23 साल की उम्र में उन्होंने गोल्ड कोस्ट में 48 किग्रा में स्नैच, क्लीन एवं जर्क का खेलों का रिकार्ड बनाकर भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया. राज्य स्तर के जूनियर फुटबालर रहे सांतोम्बा ने कहा, ‘ मैं तब फुटबाल खेलता था और मैंने उसमें कुछ करने का जुनून देखा था. वह फिर वेटलिफ्टिंग से जुड़ गई. वह हमेशा कुछ हासिल करने के लिये जुनूनी थी. वह कभी दबाव में नहीं आती और शांत चित रहती है.’

सांतोम्बा का कहना है कि उनका परिवार और गांव के लोग सुबह से टीवी पर मीराबाई के खेल का देख रहे थे. मीरा को टीवी पर गोल्ड मेडल जीतता देखने की बात पर सांतोम्बा ने कहा,‘ मेरी मां और पिताजी तब आंसू नहीं थाम पाए थे. कुछ देर के लिये वे निशब्द थे.’  जिसके बाद गांव के लोग आए और उनकी मां के साथ पारंपरिक लोकनृत्य थाबल चोंग्बा कर जश्न मनाने लगे. उन्होंने एक दूसरे के चेहरे पर रंग लगाया और नृत्य किया.