गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में जब भारतीय टीम अपने अभियान का आगाज करने पहुंची थी तो उससे कम से कम ब्रॉन्ज मेडल की ही उम्मीदी की जा रही थी. वेल्स के खिलाफ हार से साथ टूर्नामेंट की शुरुआत करने वाली टीम इंडिया ने इसके बाद बेहतरीन खेल दिखाते हुए सेमीफाइनल में जगह बनाई और ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को जोरदार टक्कर दी.
सेमीफाइनल में 0-1 से हार के बाद भारतीय टीम की निगाहें ब्रॉन्ज मेडल पर थी और उसके लिए उसे ओलिंपिक चैंपियन इंग्लैंड को मात देनी थी. भारतीय टीम से उम्मीदें इसलिए ज्यादा थी क्योकि उसने ग्रुप स्टेज में इंग्लैंड की इसी टीम को मात दी थी. लेकिन इस ब्रॉन्ज मेडल मुकाबले में सबकुछ बदला-बदला नजर आया. पहले क्वार्टर में दोनों टीमों ने संभल कर खेलना शुरू किया. भारत को दो पेनल्टी कॉर्नर भी मिले लेकिन उसका फायदा नहीं उठाया जा सका. पहले क्वार्टर में स्कोर तो 0-0 की बराबरी पर ही रहा लेकिन भारत को नुकसान यह हुआ कि उसकी बेहद महत्वपूर्ण खिलाड़ी वंदना कटारिया चोटिल होकर मैदान के बाहर चली गईं.
वंदना की गैरमौजूदगी का असर दूसरे क्वार्टर में दिखा. भारतीय टीम पूरी तरह से ऑफ कलर दिखी और ना तो कोई अच्छा मूव बन सका और ना ही डिफेंस में कोई एकरूपता नजर आई. इंग्लैंड ने इसी क्वार्टर में भारतीय गोलपोस्ट पर जोरदार हमले करते हुए एक पेनल्टी कॉर्नर हासिल किया और होली वेब ने चतुराई के साथ उसे गोल में तब्दील करके अपनी टीम को 1-0 की बढ़त दिला दी.
तीसरे क्वार्टर में भारतीय टीम कुछ अच्छे मूव बनाते हुए खेल को डोमिनेट करने में कामयाबी तो हासिल की लेकिन इसे गोल में तब्दील नहीं किया जा सका. इसके बाद इंगलैंड की टीम ने आक्रमण करके गोल करने का ऐसा सिलसिला शुरू किया जो 6-0 के स्कोर पर जाकर ही थमा.
इस हार के साथ इन गेम्स में भारतीय महिला टीम का अभियान खत्म हो गया है. 0-6 से मिली यह हार भारतीय खिलाड़ियों और फैंस को एक बुरे सपने की तरह हमेशा सताती रहेगी.