इस बार गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की ओर से कुल 12 मुक्केबाज चुनौती पेश करेंगे. पिछली बार 2014 ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में कुल 11 मुक्केबाज उतरे थे, जिन्होंने कुल पांच मेडल भारत की झोली में डाले थे, लेकिन कोई गोल्ड मेडल नहीं था. इस बार टीम में सदस्यों की संख्या में इजाफा हुआ है. साथ ही सभी मुक्केबाज अच्छी फॉर्म में भी हैं.
मैरी कॉम करना चाहेंगी यादगार पदार्पण
अनुभवी शिव थापा की गैरमौजूदगी में एमसी मैरी कॉम और मनोज कुमार मुक्केबाजी टीम की अगुआई कर रहे हैं. पिछली बार पांच बार की विश्व चैंपियन मैरी कॉम कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए क्वालिफाई करने से चूक गई थीं, लेकिन इस समय वह अपनी फॉर्म में हैं और उनकी मौजूदगी से टीम को मजबूती भी मिली है. लंदन ओलिंपिक की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट मैरी कॉम का यह पहला कॉमनवेल्थ गेम्स है. इन खेलों में महिला बॉक्सिंग 2014 ग्लास्गो में शामिल हुई थी, लेकिन उस समय क्वालिफाइंग मुकाबले में पिंकी रानी ने उन्हें हरा दिया था. मैरी कॉम की कोशिश 48 किग्रा में अपने इस कॉमनवेल्थ गेम्स को यादगार बनाने की होगी. वहीं ग्लास्गो की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट पिंकी रानी 51 किग्रा भार वर्ग में अपने मेडल का रंग बदलने के लिए उतरेंगी. हाल ही दिल्ली में हुए इंडिया ओपन बॉक्सिंग टूर्नामेंट में पिंकी ने गोल्ड जीतकर अपनी तैयारियों की झलक दिखाई थी.
सरिता के पास खुद को साबित करने का मौका
60 किग्रा भार वर्ग में ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स की सिल्वर मेडलिस्ट सरिता देवी की नजर भी इस बार गोल्ड मेडल पर टिकी हुई है. 2014 इंचियोन एशियाड में पदक समारोह में हुए विवाद की वजह से प्रतिबंध झेल चुकी सरिता भले ही रियो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई करने से चूक गई थीं, लेकिन उनके पास खुद को एक बार फिर साबित करने का अच्छा और बड़ा मौका है.
मनोज और विकास भी दावेदार
ग्लास्गो कॉमनवेल्थ में भारतीय मुक्केबाजों ने कुल पांच मेडल जीते थे, जिसमें से तीन पुरुष खिलाड़ियों के नाम रहे थे. पिछली बार के मेडलिस्ट देवेंद्रो सिंह, मनदीप जांगड़ा और पेशेवर मुक्केबाज बने विजेंदर सिंह की गैरमौजूदगी में मेडल दिलाने का जिम्मा 2010 दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स के मेडलिस्ट मनोज कुमार और 2010 एशियन गेम्स के गोल्ड मेडलिस्ट विकास कृष्ण पर रहेगा. 2014 ग्लास्गो में मनोज क्वार्टर फाइनल में इंग्लैंड के खिलाड़ी से हारकर बाहर हो गए थे, लेकिन इसके बाद उन्होंने अपने में खेल काफी सुधार किया है और तकनीक पर काम किया है. हाल ही में इंडियन ओपन बॉक्सिंग टूर्नामेंट में ब्रॉन्ज जीतकर उन्होंने लय में लौटने के संकेत दिए हैं. वहीं विकास का यह पहला कॉमनवेल्थ गेम्स है. 2010 एशियन गेम्स के गोल्ड मेडलिस्ट और 2014 एशियन गेम्स के ब्रॉन्ज मेडलिस्ट विकास अभी अपनी फॉर्म में हैं. इस बार कॉमनवेल्थ गेम्स में पदार्पण कर रहे 22 साल के अमित पंघल ने फरवरी में ही स्त्रांजा कप में गोल्ड मेडल जीतकर मेडल की मजबूत दावेदारी पेश की है.