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CWG 2018: कॉमनवेल्थ गेम्स में भी चला मैरीकॉम का मैजिक, गोल्डन पंच के साथ रचा इतिहास

35 साल की मैरी ने 22 साल की नॉर्दर्न आयरलैंड की क्रिस्टिना को हराकर भारत का एक और गोल्ड दिलवाया

Kiran Singh

पांच बार वर्ल्ड चैंपियनशिप, ओलिंपिक और एशियाड के पोडियम तक पहुंंचने वाली मैरीकॉम के ताज में एक नगीना लगना जो बाकी रह गया था, उसे मैरी में आज लगा दिया. पांच बार वर्ल्ड चैंपियनशिप का खिताब, ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल और एशियाड में गोल्ड मेडल पहले ही अपने नाम चुकी मैरी 2014 ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए क्वालिफाइ करने से चूक गई थी, जिसके बाद इन्हें संन्यास लेने के लिए भी सलाह मिलने लगी थी, लेकिन मैरी ने उसके चार साल बाद गोल्ड मेडल के साथ अपने जुनून, अपनी फिटनेस को साबित कर दिया. नॉर्दर्न आयरलैंड की क्रिस्टिना ओ हारा को मैरी ने जैसे ही हराया, कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज बन गई.

भारत में मुक्केबाजी को एक नए आयाम पर ले जाने वाली मैरी 2014 में पहली बार कॉमनवेल्थ गेम्स में शामिल की गई महिला मुक्केबाजी के क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट में पिंकी रानी से हार गई थी, लेकिन उसके बाद इंचियोन एशियाड में उन्होंने गोल्ड जीतकर खुद को साबित किया.


करियर का 19वां मेडल

मैरी का यह 19वां मेडल है. जिसमें 14 मेडल तो गोल्ड ही है, इसके अलावा दो सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल शामिल है. पांच गोल्ड मैरी ने वर्ल्ड चैंपियनशिप और एशियन वीमन बॉक्सिंग चैंपियनशिप, 2014 इंचियोन एशियाड, एशियन इंडोर गेम्स, एशियन कप वीमन बॉक्सिंग और विच कप में मैरी के नाम गोल्ड है। वहीं 2001 में वर्ल्ड चैंपियनशिप , 2008 में एशियन वीमन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल और 2012 लंदन ओलिंपिक और 2010 एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल मैरी ने गले में पहना.