अगले महीने गोल्ड कोस्ट में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स में पदक के मजबूत दावेदार माने जा रहे विश्व के शीर्ष बैडमिंटन खिलाड़ियों में से एक भारत के किदांबी श्रीकांत का मानना है कि उनके लिए अभी नंबर एक बनने से कहीं ज्यादा अहमियत देश के लिए पदक जीतना रखता है.
चार साल पहले दिमागी बुखार होने के कारण कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने के अपने सपने को पूरा करने से चूके श्रीकांत की नजर गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ पर है.
ग्लास्गो कॉमनवेल्थ से कुछ सप्ताह पहले बीमार हो गए थे
श्रीकांत ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स से कुछ सप्ताह पहले बीमार पड़ गए थे. उन्हें गोपीचंद अकादमी में बाथरूम के फर्श पर बेहोश पाया गया था. बाद में पता चला कि उन्हें मस्तिष्क ज्वर है. उन्हें एक सप्ताह तक आईसीयू में रहना पड़ा था. श्रीकांत ने 2014 की घटना को याद करते हुए कहा कि वह किसी वाइरस की वजह से हुआ था, जिसका नाम उन्हें याद भी नहीं है. उन्होंने कहा कोई भी मुझे उस दिन की घटना के बारे में नहीं बताना चाहता और मुझे भी कुछ याद नहीं है.गौरतलब है कि 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में क्वार्टर फाइनल में श्रीकांत को सिंगापुर के खिलाड़ी से हार का सामना करना पड़ा था.
पिछले सालभर के अनुभव ने आत्मविश्वास दिया
श्रीकांत ने कहा कि अब चार साल बाद उन्हें लगता है कि पिछले एक साल में उन्होंने जो अनुभव हासिल किया उससे उनका आत्मविश्वास बढ़ गया है, इसलिए यह अलग तरह का अनुभव होगा.