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CWG 2018: भारत के ये छुपे रुस्तम गोल्ड कोस्ट में आए दुनिया के सामने

अनीश भानवाल, मनु भाकर, नीरज, गौरव सोलंकी सहित ये खिलाड़ी भी दिग्गज पर पड़े भारी

Kiran Singh

कॉमनवेल्थ गेम्स खत्म हो चुके हैं. करीब 11 दिन तक चले इस महामुकाबले में भारत कुल 66 मेडल्स के साथ तीसरे नंबर पर रहा, जो भारत का दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर है. भारत को इस मुकाम तक ले जाने का श्रेय देश के अनुभवी खिलाड़ी मैरीकॉम, सायना नेहवाल, जीतू राय, संजीता चानू, शरथ कमल, मौमा दास, किदांबी श्रीकांत आदि कई खिलाड़ियों का जाता है. इस कॉमनवेल्थ गेम्स में मैरी कॉम, सुशील कुमार, सायना नेहवाल जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने वापसी भी की, लेकिन गोल्ड कोस्ट में कुछ ऐसे खिलाड़ी भी चमके, जिसके भारत का भविष्य सुनहरा नजर आने लगा है. अनीश भानवाल, मनु भाकर, नीरज चोपड़ा, दीपक लाथर, सात्विक, गौरव सोलंकी, दिव्या काकरान, मोहम्मद अनस ने भारत को आने वाला भविष्य दिखने लगा है, जिन्होंने गोल्ड कोस्ट में अपनी ऐसी रोशनी बिखेरी कि उसकी चमक से हर कोई आने वाला समय देखने लगा.

अनीश भानवाल 


15 साल के अनीश भानवाल ने 25 मीटर रैपिड पिस्टल में गोल्ड जीता और इसी के साथ अनीश कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने वाले सबसे युवा खिलाड़ी भी बन गए. कॉमनवेल्थ गेम्स में इस बार डेब्यू करने वाले अनीश के लिए यह मेडल अभी तक की उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स का रिकॉर्ड बनाते हुए गोल्ड जीता. 2017 में हुए कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में अनीश में ओलिंपियन गुरप्रीत सिंह को पीछे छोड़ा था. वहीं जून में विश्व रिकॉर्ड के साथ जूनियर वर्ल्ड चैंपियन भी बने थे.

मनु भाकर

शूटिंग में अब समय आ रहा है मनु भाकर, 16 साल की मनु भाकर ने 10 मीटर एयर पिस्टल में हीना सिद्धू सहित बड़े बड़े दिग्गजों को पीछे छोड़ते हुए गोल्ड जीता. कॉमनवेल्थ गेम्स शुरू होने से पहले ही मनु सुर्खियों में आ गई थी, जिस वजह से गोल्ड कोस्ट में उनसे उम्मीद भी थी, जिसे उन्होंने पूरा किया. गोल्ड कोस्ट में अपने अभियान का आगाज करने से पहले मनु ने मेक्सिको में हुए सीनियर आईएसएसएफ विश्व कप में दो स्वर्ण जीते थे.

गौरव सोलंकी

बाक्सिंग का नाम आते ही पहले मैरीकॉम, शिवा थापा, मनोज कुमार इनका ही नाम जुबां पर आता था, लेकिन अब इन नामों के साथ एक नाम और जुड़ गया है और वह गौरव सोलंकी का. 21 साल के गौरव ने 52 किग्रा कैटेगरी तके भारत को गोल्ड दिलवाया. अपने सभी बाउट में गौरव ने सभी को प्रभावित किया और उनके इस खेल का देखकर उनसे भारत की उम्मीदें भी बढ़ गई है.

नीरज चोपड़ा

हर खेल में भारत का डंका बजता है, लेकिन अगर बात एथलेटिक्स की आती है तो वहां भारत को निराश ही होना पड़ता है, लेकिन इस कॉमनवेल्थ ने भारत को एथलेटिक्स में नीरज चोपड़ा और मोहम्मद अनस के रूप में उम्मीद कर किरण दिख गई है. विश्व रिकॉर्डधारी 20 साल के नीरज ने जैवेलियन थ्रो में भारत को गोल्ड दिलाया और कॉमनवेल्थ गेम्स में जैवेलियन थ्रो में भारत का यह पहला गोल्ड है. 18 साल की उम्र में नीरज ने पोलैंड में अंडर 20 वर्ल्ड चैंपियनशिप में जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन वह रियो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाइ करने से चूक गए थे. दरअसल जब उन्होंने 19-24 जुलाई 2016 के बीच हुए वर्ल्ड चैंपियनशिप में रिकॉर्ड बनाया था और रियो के लिए क्वालिफाइ करने की आखिरी तारीख 11 जुलाई थी. नीरज के इस प्रदर्शन को देखते हुए इस साल होने वाले एशियाड और 2020 में टोक्यो में होने वाले ओलिंपिक में भारत को उनसे उम्मीद बंध गई हैं.

दीपक लाथर

हरियाणा के 18 वर्ष के युवा वेटलिफ्टर दीपक लाथर ने 69 किग्रा वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. दीपक ने 295 किग्रा भार उठाया. दीपक भले ही इस अपने डेब्यू कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने से चूक गए हो, लेकिन आने वाले समय उनके एक बेहतरीन वेटलिफ्टर की झलक दिखने लगी है. लाथर के नाम सबसे कम उम्र में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाने की उपलब्धि दर्ज है। इस युवा वेटलिफ्टर ने 15 साल की उम्र में 62 किग्रा कैटेगरी ने राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था.

मोहम्मद अनस

400 मीटर में भले ही 23 वर्ष के मोहम्मद अनस कोई मेडल न जीत पाए हो, लेकिन उन्होंने अपने खेल से सभी को प्रभावित जरूर किया और आने वाले समय में उनसे उम्मीद भी जा सकती है. अनस मिल्खा सिंह के बाद 400 मीटर की दौड़ के फाइनल में क्वालिफाई करने वाले दूसरे भारतीय बने. क्वालिफाइ राउंड में वह शीर्ष पर ही बने रहे, लेकिन फाइनल रेस में वह मेडल जीतने से मात्र 0.2 सेकंड पीछे रह गए थे.

सात्विक रंकीरेड्डी

इस समय भारतीय बैडमिंटन अपने सबसे दौरे में गुजर रही है. पीवी सिंधु, सायना नेहवाल, किंदाबी श्रीकांत जैसे खिलाड़ियों ने दुनिया में भारत का दबदबा बनाया और इसी क्रम को बरकरार रखने के लिए युवा खिलाड़ी भी तैयार होने लगे हैं. जिसकी एक झलक इस कॉमनवेलथ में दिखी. 17 साल के सात्विक ने 20 साल के चिराग शेट्टी के साथ मिलकर मैन्स डबल्स का सिल्वर मेडल जीता, वहीं सात्विक ने मिक्स्ड टीम इवेंट का गोल्ड भी जीता. डबल्स के फाइनल में इस युवा जोड़ी ने इंग्लैंड की अनुभवी जोड़ी को कांटे की टक्कर दी थी.

दिव्या काकरान

फोगट बहनों के बाद अब मुजफ्फरनर की दिव्या काकरान अपना जलवा दिखाने को पूरी तरह से तैयार है, जिसकी एक झलक कॉमनवेल्थ गेम्स में देखने को मिली. दिव्या ने 68 किग्रा में भले ही ब्रॉन्ज जीता हो, लेकिन उनहोंने अपनी ताकत से बता दिया है कि ब्रॉन्ज ही उनका लक्ष्य नहीं है, अभी उन्हें आगे जाना है. दिव्या ने दिल्ली स्टेट चैंपयिनशिप में 17 गोल्ड सहित कुल 60 मेडल जीते है और छह बार भारत केसरी बनी.