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CWG 2018: बहनों के हिस्से की रोटियों ने दी इतनी ताकत, पूनम ने जीत लिया गोल्ड

ग्लास्गो की सफलता पर परिवार लोगों का मुंह तक मीठा नहीं करवा पाया था, अब 69 किलोग्राम कैटेगरी में जीता गोल्ड

Kiran Singh

मीराबाई, संजीता चानू, सतीश और वेंकट के बाद वाराणसी की पूनम यादव ने वेटलिफ्टिंग में भारत को एक और गोल्ड दिला दिया है. 2014 ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट पूनम इस बार अपने पदक का रंग बदलते हुए सोना कर दिया, लेकिन उनके लिए पहले ब्रॉन्ज और फिर गोल्ड तक पहुंचना आसान नहीं था. पूनम की इस सफलता के पीछे जिसका सबसे बड़ा हाथ है तो वो है उनकी दोनों बहनें, जिन्होंने अपनी रोटियां पूनम की थाली में डाली, यहां तक कि उन्हें इस जगह तक पहुंचाने के लिए खुद खेल से हो गई. पूनम ने स्नैच में 100 और क्लीन एंड जर्क में 122 किग्रा सहित कुल 222 किग्रा वजन उठाया.

ग्लास्गो की सफलता पर मिठाई भी नहीं खिला पाया था परिवार


2014 में पूनम 63 किग्रा वर्ग कैटेगरी में उतरी थी और वहां ब्रॉन्ज मेडल जीता, जो पूनम और उनके परिवार के लिए बहुत बड़ी सफलता थी, लेकिन आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने के कारण परिवार के पास उनकी इस जीत पर लोगों को मिठाई तक खिलाने के पैसे नहीं थे. पिता किसानी करने के साथ ही भैंसों का दूध बेचते थे और दूसरी तरफ परिवार भी बड़ा था. ऐसे में वेटलिफ्टिंग जैसे खेल को जारी रखना तीनों बहनों के लिए मुश्किल था.

बड़ी बहन को दूध और दाल रखने पड़ते थे छुपाकर

वेटलिफ्टिंग में खिलाड़ी को सप्लीमेंट्स के साथ साथ अच्छी डाइट की भी जरूरत होती है और परिवार इस हालत में नहीं था कि अतिरिक्त खर्चा कर पाए. ऐसे में पूनम की बड़ी बहन शशि ने उनके खेल को देखकर खुद की डाइट भी उनको देने लगी. अपनी थाली की रोटियां भी पूनम को दे देती थी. सुबह के नाश्ते में मिली दाल को भी शशि अपनी छोटी बहन पूनम को चुपके से खिला देती थी, यही नहीं दूध नापते समय एक गिलास दूध पूनम के लिए छुपाकर रखा जाता था.

शशि और पूजा ने खेलों से बनाई दूरी

पूनम के साथ उनकी बड़ी बहन शशि और छोटी बहन पूजा भी वेटलिफ्टिंग करती थी, लेकिन जब पूनम 2012 में स्थानीय स्तर पर उन दोनों से अच्छा प्रदर्शन करने लगी तो दोनों बहनों ने खेल से दूरी बना ली. परिवार की आर्थिक स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि छोटी बहन पूजा पत्ते बीनकर लाती थी तो घर का चूल्हा जल पाता था.

ट्रैक सूट और जूते तक चैंपियन को दे दिया

आज भले ही पूनम के साथ बेहतर ट्रैक सूट और जूते हो, लेकिन संघर्ष के दिनों में सर्दियों से बचने के लिए भी उनकी बड़ी बहन ने अपना ट्रैक सूट दे दिया था, यहीं नहीं जूते ना होने पर बड़ी बहन ने अपना जूता उताकर पूनम को दे दिया था, ये कहकर कि उनमें जूता छोटा हो रहा है. पूनम की दोनों बहनों के इसी संघर्ष के चलते पहले ग्लास्गो में ब्रॉन्ज में और फिर इंचियोन एशियाड में सिल्वर मेडल जीता.