कॉमनवेल्थ गेम्स के इतिहास में पहली बार किसी खेलों का आयोजन एशिया में हुआ. कॉमनवेल्थ गेम्स का 16वां संस्करण मलेशिया की राजधानी क्वालालंपुर में1998 में हुआ. यह पहला मौका था जब कॉमनवेल्थ गेम्स में टीम खेलों को शामिल किया गया और इसका सफल आयोजन हुआ. बड़ी संख्या में खिलाड़ियों ने इसमें भाग लिया और बड़े पैमाने पर इसे टीवी पर भी दिखाया गया जिससे खेल की लोकप्रियता में चार चांद लग गए. इसमें 68 देशों के तीन हजार से ज्यादा खिलाड़ियों और अधिकारियों ने हिस्सा लिया जो अपने आप में एक रिकॉर्ड रहा. भारत 25 पदकों (7 स्वर्ण, 10 रजत, 8 कांस्य) के साथ तालिका में आठवें नंबर पर रहा.
भारतीय निशानेबाजों ने तिरंगे की शान बढ़ाए रखी. उनके चार स्वर्ण पदकों के दम पर भारत तालिका में आठवें स्थान पर रहा. व्यक्तिगत स्पर्धा में केएम शेख मोहम्मद और रूपा उन्नीकृष्णन ने सोने पर निशाना साधा तो टीम स्पर्धा में जसपाल राणा और अशोक पंडित,मनशेर सिंह और मानवजीत सिंह संधू की जोड़ियों ने स्वर्ण जीते. तीन स्वर्ण वेटलिफ्टिरों ने जीते.
हॉकी का पहला स्वर्ण ऑस्ट्रेलिया के नाम
पहली बार इन खेलों में शामिल की गई हॉकी स्पर्धा का पुरुष और महिला वर्ग का खिताब ऑस्ट्रेलिया ने जीता. भारत दोनों वर्गों में चौथे नंबर पर रहा.
क्रिकेट में साउथ अफ्रीका बना चैंपियन
इन खेलों के इतिहास में पहली और अंतिम बार क्रिकेट को शामिल किया गया. इसमें 16 टीमों ने भाग लिया और ऑस्ट्रेलिया को चार विकेट से हराकर साउथ अफ्रीका चैंपियन बना. भारत ने कनाडा में पाकिस्तान के खिलाफ खेले जा रहे सहारा कप के कारण अपनी कमजोर टीम भेजी थी और वह लीग चरण में ही बाहर हो गया.
ऑस्ट्रेलिया 80 स्वर्ण के साथ शीर्ष पर
पदक जीतने वाले देशों में पहले पांच स्थान पर ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, कनाडा, मलेशिया और साउथ अफ़्रीका रहे. ऑस्ट्रेलिया ने 80 स्वर्ण के साथ कुल 198 पदक जीते. इंग्लैंड ने 36 स्वर्ण के साथ कुल 136 और कनाडा ने 30 स्वर्ण के सात कुल 99 पदक जीते.