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CWG 2018: 80 सेकंड में सभी विवादों पर सुशील ने खेला 'गोल्डन दांव'

हिमाचल प्रदेश में हुए बस एक्सीडेंट में मारे गए बच्चों को सुशील ने किया अपना गोल्ड मेडल समर्पित

Kiran Singh

आखिरकार तमाम विवादों को पछाड़ते हुए भारत के स्टार पहलवान सुशील कुमार ने गोल्ड मेडल अपने नाम कर ही लिया. गोल्ड कोस्ट आने से पहले उनको लेकर कई विवादों ने जन्म ले लिया था, जिसकी वजह से उनका यहां आना भी मुश्किल लग रहा था. लेकिन सुशील इन सबको पीछे छोड़ते हुए खुद को साबित करने में सफल हुए. सुशील अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थे तभी फाइनल में पहुंचते ही उन्होंने ट्वीट करके बोल दिया था कि वह इतिहास दोहराने से सिर्फ एक कदम दूर हैं. भारत के इस स्टार खिलाड़ी को खुद को साबित करने में छह मिनट नही, बल्कि 80 सेकंड ही लगे.

आते ही खेला गोल्डन दांव

74 किग्रा के फाइनल बाउट में आते ही दो बार के ओलिंपिक मेडलिस्ट सुशील ने साउथ अफ्रीका के जोहानस बोथा को पटखनी दी और अपना गोल्डन दांव खेला.  पहले पीरियड में सुशील ने बेहतरीन दांव लगाते हुए टेक डाउन किया. पहले 4 पॉइंट्स हासिल किए और फिर एक और टेकडाउन से दो अंक हासिल करते हुए 6-0 की बढ़त हासिल कर ली और इसी के साथ सुशील ने 10 अंक लेते हुए टेक्नीकल सुुपीरियरटी के आधार पर 80 सेकंड्स के वक्त में सुशील ने बोथा को हरा कर गोल्ड मेडल जीत लिया.

एंट्री लिस्ट से भी नाम हो गया था गायब

कॉमनवेल्थ गेम्स शुरू होने से कुछ दिन पहले ही एंट्री लिस्ट से उनका नाम गायब हो गया था. गोल्ड कोस्ट के आयोजकों द्वारा अधिकारिक वेबसाइट पर जारी की गई लिस्ट में उनका नाम नहीं था हालांकि इसे तकनीकी या लिपिकीय गलती बताकर अगले दिन उनका नाम शामिल कर लिया था, लेकिन लंबे समय से फेडरेशन और सुशील के बीच रिश्ते कुछ खास नहीं चल रहे थे. गनीमत है कि सूची से सिर्फ उनका ही नाम गायब हुआ था.

कॉमनवेल्थ के क्वालिफिकेशन राउंउ में भी हुआ था विवाद

गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए क्वालिफिकेशन इवेंट में भी सुशील विवादों से घिर गए थे. दरअसल क्वालिफिकेशन इवेंट के दौरान जब सुशील ने कड़े मुकाबले में प्रणीव राणा को हरा दिया था तो दोनों पहलवानों के प्रशंसकों के बीच झड़प हो गई थी, जिसमें प्रणीव के भाई को चोटें भी आई थीं. इसके बाद प्रणीव ने डब्ल्यूएफआई में एक लिखित शिकायत दर्ज की थी जिसमें उन्होंने मारपीट में सुशील के हाथ होने की बात कहीं थी. अगर इस मामले पर सुशील पर चार्जशीट दायर हो जाती तो उन्हें सस्पेंड कर दिया जाता.

रियो ओलिंपिक के लिए टीम में नहीं मिली थी जगह

इससे पहले रियो ओलिंपिक में भी सुशील का नाम काफी चर्चा में रहा था. दरअसल 74 किग्रा कैटेगरी में नरसिंह ने देश को कोटा दिलाया था, लेकिन सुशील ट्रायल की मांग कर रहे थे. मामला कोर्ट में पहुंचा और फैसला नरसिंह के पक्ष में रहा. हालांकि नरसिंह के डोप टेस्ट में फंसने के पीछे भी सुशील का हाथ माना जा रहा था.

बस एक्सीडेंट में मारे गए बच्चो को किया मेडल समर्पित

सुशील कुमार ने अपनी इस जीत को परिवार, कोच और स्वामी रामदेव को समर्पित करने के साथ ही उन बच्चों को भी समर्पित किया है, जो कुछ दिन पहले हिमाचल प्रदेश में हुए बस एक्सीडेंट में इस दुनिया को छोड़ गए चले गए थे.

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के नूरपुर में कुछ दिन पहले एक प्राइवेट स्कूल की बस हादसे का शिकार हो गई थी, जिसमें 27 लोगों की मौत हो गई थी. बस में 35 बच्चे थे. मरने वालों में एक ड्राइवर, दो टीचर और बाकी बच्चे थे.