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कैस्टर सेमेन्या को अगर महिलाओं के वर्ग में भाग लेना है तो कम करना होगा टेस्टोस्टरोन

खेल पंचाट (कैस) की अगले सप्ताह होने वाली सुनवाई में IAAF अपनी तरफ से दलील देगा कि Caster Semenya और डीएसडी वाले अन्य एथलीटों को टेस्टोस्टरोन का स्तर कम होने पर ही प्रतिस्पर्धा में भाग लेने की अनुमति मिलनी चाहिए ताकि बराबरी सुनिश्चित की जा सके

AFP

अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ (आईएएएफ) इस पर अपनी दलील पेश करेगा कि ओलिंपिक में महिलाओं की 800 मीटर चैंपियन कैस्टर सेमेन्या को जैविक पुरुष (biological male)  के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए. आईएएएफ ने कहा कि अगर सेमेन्या महिलाओं की प्रतियोगिता में हिस्सा लेना चाहती हैं तो उन्हें अपना टेस्टोस्टरोन कम करने के लिए दवाईयां लेने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए.

खेल पंचाट (कैस) की अगले सप्ताह होने वाली महत्वपूर्ण सुनवाई से पहले ‘द टाइम्स’ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि आईएएएफ अपनी तरफ से दलील देगा कि सेमेन्या और ‘यौन विकास में अंतर’ (डीएसडी) वाले अन्य एथलीटों को टेस्टोस्टरोन का स्तर कम होने पर ही प्रतिस्पर्धा में भाग लेने की अनुमति मिलनी चाहिए ताकि बराबरी सुनिश्चित की जा सके. आईएएएफ ने हालांकि बुधवार को ‘जैविक पुरुष’ संबंधी दावों पर आपत्ति जताई.


विश्व एथलेटिक्स की शीर्ष संस्था ने बयान में कहा, ‘आईएएएफ किसी डीएसडी एथलीट को पुरुष के रूप में वर्गीकृत नहीं करने जा रहा है. इसके विपरीत हमने बिना किसी सवाल के उनके कानूनी लिंग को स्वीकार किया और उन्हें महिलाओं के वर्ग में खेलने की अनुमति दी.’

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इसमें कहा गया है, ‘हालांकि अगर एक डीएसडी एथलीट का परीक्षण होता है और उसका टेस्टोस्टरोन का स्तर पुरुषों के समान होता है तो उनकी हडि्डयों और मांसपेशियों के आकार और ताकत में भी पुरुषों के समान वृद्धि होती है. उनके हीमोग्लोबिन में भी वृद्धि होती है जिससे पुरुषों को महिलाओं की तुलना में खेलों में लाभ मिलता है. इसलिए महिला वर्ग में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है कि डीएसडी एथलीट अपने टेस्टोस्टरोन में कमी करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने से पहले उसे महिलाओं के स्तर पर लेकर आएं.’

सेमेन्या और दक्षिण अफ्रीकी एथलेटिक्स संघ ने आईएएएफ के उस नए पात्रता नियमों को चुनौती दी है जिसमें मध्यम दूरी की दौड़ में उन डीएसडी एथलीटों को लेने की बात की गई जिन्होंने पिछले छह महीनों में अपने टेस्टोस्टरोन के स्तर में महत्वपूर्ण कमी की हो.

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क्या था सेमेन्या को लेकर विवाद

सेमेन्या के मुद्दे पर दक्षिण अफ़्रीका एथलेटिक्स संघ और अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं. सेमेन्या का नाम अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स पटल पर जुलाई 2009 में तब आया था जब उन्होंने 800 मीटर की दूरी केवल एक मिनट और 56.72 सेकेंड में पूरी कर अपना ही पुराना रिकॉर्ड तोड़ा था. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ ने बर्लिन विश्व प्रतियोगिता से पहले सेमेन्या का लिंग परीक्षण करवाए जाने की मांग की थी. लेकिन दक्षिण अफ़्रीकी अधिकारी कहते रहे कि ये परीक्षण बाहर करवाए जाने चाहिए. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ ने प्रारंभिक जांच के आधार पर दक्षिण अफ़्रीका से कहा कि वो सेमेन्या को जर्मनी ना भेजे. मगर दक्षिण अफ़्रीका के एथलेटिक्स संघ ने ये कहते हुए सेमेन्या को दौड़ने की अनुमति दिए जाने पर जोर दिया कि सेमेन्या महिला ही हैं और सेमेन्या के घर के लोगों ने भी इसका समर्थन किया.

इसके बाद सेमेन्या ने एक मिनट 55.45 सेकेंड का समय निकालकर बर्लिन में 800 मीटर की दौड़ का स्वर्ण पदक प्राप्त किया. लेकिन अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स संगठन ने सेमेन्या का और परीक्षण किए जाने का आदेश दिया. सेमेन्या में टेस्टोस्टेरोन का स्तर किसी भी महिला के नमूने में पाए जाने वाले स्तर से तीन गुना ज्यादा निकला. उन पर प्रतिबंध लगाया गया लेकिन खेल पंचाट (कैस) ने उनके पक्ष में फैसला दिया. सेमेन्या ने 2012 लंदन और 2016 रियो ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीता है. इसके अलावा वह विश्व चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीत चुकी हैं.