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उसैन बोल्ट: ऐसे ही नहीं बना दुनिया का सबसे तेज दौड़ने वाला इंसान

वर्ल्ड चैंपियनशिप में अपनी आखिरी 100 मीटर रेस में बोल्ट ने कांस्य पदक जीता

Aditya Shankar

दुनिया के सबसे तेज धावकों में से उसैन बोल्ट एथलेटिक्स वर्ल्ड चैंपियनशिप में अपने खिताब को बचाने में नाकामयाब रहे और अपने विदाई मैच में वह 100 मीटर रेस में तीसरे स्थान पर रहे.

आपको बता दें लंदन के ओलिंपिक स्टेडियम में चल रहे विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में बोल्ट अपनी आखिरी रेस दौड़ रहे थे. शुरुआती दोनों स्थानों पर अमेरिकी धावकों ने कब्जा जमाया.


पहले स्थान पर रहे जस्टिन गैटलिन ने 100 मीटर की दूरी जहां 9.92 सेकंड में तय करके गोल्ड मेडल को अपने नाम किया वहीं क्रिस्टियन कोलमैन ने 9.94 सेकंड में रेस पूरी करते हुए सिल्वर मेडल पर अपना कब्जा जमाया. उसैन बोल्ट ने अपनी रेस 9.95 सेकंड में रेस खत्म करते हुए ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया.

हालांकि फैंस के पास बोल्ट को देखने का एक और मौका है जब वह 12 अगस्त को 4x100 की रेस में हिस्सा लेंगे.

लंदन ओलंपिक शुरू होने से पहले जब जमैका के करिश्माई एथलीट उसैन बोल्ट को मीडिया में महानतम कहा जा रहा था तो उन्होंने उसे ऐसा कहने से रोक दिया था. उनका मानना था कि वह तभी महानतम कहलाएंगे, जब 2008 बीजिंग ओलिंपिक में जीते 100 और 200 मीटर दौड़ के खिताब को लंदन में बचा पाएंगे. बोल्ट ने लंदन में ही नहीं, बल्कि 2016 रियो डि जेनेरियो में भी ऐसा कर दिखाया और लगातार तीन ओलिंपिक में फर्राटा (स्प्रिंट) का गोल्डन डबल बनाने वाले पहले एथलीट बन गए.

यही नहीं वह ट्रिपल-ट्रिपल यानी लगातार तीन ओलिंपिक में तीन-तीन गोल्ड मेडल जीतने का सपना पूरा करने में भी सफल रहे. हालांकि बाद में उनका बीजिंग का चार गुणा सौ मीटर रिले का गोल्ड एक साथी एथलीट के डोप में पकड़े जाने पर छिन गया. विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी 11 गोल्ड वह जीत चुके हैं.

बोल्ट के इस असंभव उपलब्धि हासिल करने के  बाद एक फिर यह सवाल उठा कि क्या वह खेलों के इतिहास के सबसे बड़े लीजेंड समझे जाने वाले बॉक्सर मोहम्मद अली और फुटबॉलर पेले की बराबरी पर आ गए हैं, या फिर उनसे भी आगे निकल गए हैं. बोल्ट ने कहा कि इसका जवाब उनके पास नहीं है, ये तो खेल जानकार और फैंस तय करेंगे.

दरअसल बोल्ट को अपनी तुलना किसी अन्य से करना पसंद नहीं है. उनका कहना है कि मैं केवल मैं हूं. बोल्ट ने कहा कि वह ट्रैक पर कभी नहीं चाहते कि उनके अलावा कोई और जीते. खासतौर पर नए लडक़ों को आगे नहीं निकलने देना चाहता. मगर आंद्रे (डी ग्रासे) और क्रिस्टोफर (लिमैते) जैसे युवा चैलेंज करते हैं तो अच्छा लगता है.

29 साल के बोल्ट ने अपने करियर को रियो ओलिंपिक के बाद खत्म करने का ऐलान पहले ही कर दिया था. इससे उन सभी कयासों और अटकलों पर विराम लग गया, जिसमें कहा जा रहा था कि वह 2020 टोक्यो ओलिंपिक में भी हिस्सा ले सकते हैं. लेकिन जब वह इस सप्ताह लंदन में आइएएएफ विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उतरेंगे तो यह उनकी आखिरी प्रतियोगिता होगी.

इसके साथ ही रफ्तार का बादशाह ट्रैक को अलविदा कह देगा. बोल्ट ने कहा कि जिस तरह की प्रेरणा की जरूरत होती है वह आगे बनी रह पाना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि मैंने अपने देश की जरूरत को पूरा किया है और हमेशा ही देश का एंबेसडर बनने का प्रयास किया है. मैं रिटायरमेंट के बाद भी अपने देश और खेल के लिए ऐसा करता रहूंगा.

100 और 200 मीटर में वर्ल्ड रिकॉर्ड

फर्राटा की दोनों स्पर्धाओं के वर्ल्ड रिकॉर्ड बोल्ट के नाम पर दर्ज हैं. ओलिंपिक की 100 मीटर स्पर्धा में सर्वश्रेष्ठ समय उनके नाम पर है. इन खेलों में उन्होंने 9.63 सेकंड का समय निकाला था. जबकि 9.58 सेकंड का विश्व रिकॉर्ड उन्होंने 2009 बर्लिन वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्थापित किया था.

इसी तरह 200 मीटर में ओलिंपिक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन उन्होंने 2008 बीजिंग में किया थ.। तब उन्होंने 19.30 सेकेंड का समय निकाला था. 19.19 का विश्व रिकॉर्ड समय उन्होंने 2009 बर्लिन विश्व चैंपियनशिप में दर्ज कराया था.

उनके दोनों विश्व रिकॉर्ड को मानव क्षमता की पराकाष्ठा माना जा सकता है. बोल्ट ने ऐसे प्रतिमान गढ़ दिए जिनको लेकर काफी चर्चाएं रहीं. सबसे बड़ा सवाल जो लोगों के दिमाग को मथ रहा था कि क्या आने वाले समय में 100 मीटर दौड़ को 9.5 सेकंड या उससे कम समय में पूरा किया जा सकता है. क्या यह मानव के लिए संभव है? फिलहाल बोल्ट विदाई की वेला के मुहाने पर खड़े हैं तो शायद उनसे इसकी उम्मीद करना ज्यादती होगी और भविष्य में ऐसा हो सकता है इसका जवाब उनके जैसा कोई दूसरा एथलीट ही दे सकता है.

उनका 200 मीटर का रिकॉर्ड तो वैसे भी हैरतअंगेज है. इसके लिए उन्होंने पहले 100 मीटर 9.92 सेकंड में और अगले 100 मीटर 9.27 सेकंड में पूरे किए थे. दुनिया के सबसे सफल ट्रैक एथलीट बोल्ट को निश्चित ही आदर्श माना जा सकता है, वह अपने करियर में एक बार भी डोप टेस्ट में फेल नहीं हुए.

बनना चाहते थे फास्ट बॉलर

विलियम निब हाई स्कूल में युवा उसेन को क्रिकेट खेलना पसंद था. उन्हें क्रिकेट से इतना प्यार था कि वह  कुछ और नहीं खेलना चाहते थे. बोल्ट पहले फास्ट बॉलर बनना चाहते थे और वकार युनूस उनके पसंदीदा थे. बाद में किशोर बोल्ट ने अपनी टीचर लॉर्ना थॉर्पे की बात मानकर एथलेटिक्स में जाने की ठानी. आज वह अपनी टीचर को दूसरी मां मानते हैं.

बोल्ट कहते हैं कि उनकी जिंदगी में टीचर थॉर्पे का बहुत बड़ा योगदान है. वह हमेशा उन्हें लक्ष्य पर केंद्रित रहने के लिए प्रोत्साहित करती थीं. उन्होंने जो किया पूरी शिद्दत से किया. 15 साल की उम्र तक बोल्ट एथलेटिक्स की दुनिया में पहचाने जाने लगे थे.

2002 में बोल्ट ने अपने से चार साल बड़े एथलीटों के साथ जमैका में 200 मीटर वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया. इसके साथ ही वह दुनिया के सबसे कम उम्र वाले स्वर्ण पदक विजेता बन गए. उन्होंने इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स फेडरेशन के उभरते स्टार का अवॉर्ड भी जीता.

मुश्किलें भी नहीं रोक सकीं राह

बोल्ट एक साधारण परिवार से आते हैं. अपनी बहन, भाई और परिवार की मदद के लिए उन्होंने किराना दुकान पर रम और सिगरेट बेचने का काम किया था. कठिनाइयों के बावजूद उनका लक्ष्य नहीं डिगा. बोल्ट जमैका के शेरवुड कंटेंट से ताल्लुक रखते हैं वहां पानी की बेहद समस्या है, जिसका सामना बोल्ट और उनके परिवार ने भी किया. तमाम समस्यों का सामना करने वाले बोल्ट आगे बढ़े और नाम रोशन किया.

आज वह अपने देश के हीरो हैं और वहां के बच्चे उनके जैसा बनने का सपना देखते हैं. बोल्ट की मां जेनिफर के मुताबिक दुनिया के सबसे तेज एथलीट ने सिर्फ एक ही बार किसी चीज में देर कीय बोल्ट का जन्म डॉक्टर के निर्धारित समय से करीब दस दिन की देरी से हु.। लेकिन फिर उसके बाद उनकी रफ्तार कभी कम नहीं हुई.

उम्मीद की मुताबिक नहीं रही विदाई

बोल्ट का मानना है कि यह जरूरी नहीं है कि आप शुरू कहां से करते हैं, अहम ये है कि आप खत्म कैसे करते हैं, शायद 100 मीटर में गोल्ड ना जीत पाने का मलाल उन्हे जिंदगी भर रहेगा, हालांकि अगर उन्होंने इस रेस में गोल्ड हासिल नहीं किया तो उनकी महानता कतई कम नहीं हो जाती, लेकिन हां गोल्ड से आगाज के बाद अंजाम भी गोल्ड पर खत्म होता तो बात ही कुछ अलग होती