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Asian Games 2018 : मां के बलिदानों और मेहनत ने तय की धरुन की मेडल की राह!

अय्यासामी ने कहा, मेरी मां ने मेरे लिए काफी बलिदान दिए हैं. मेरे जीत की वजह वह ही हैं. वह शिक्षक हैं और उन्हें केवल 14,000 रुपए का मासिक वेतन मिलता है

Bhasha

भारत के धरुन अय्यासामी को उम्मीद है कि एशियन गेम्स में 400 मीटर बाधा दौड़ में रजत पदक की जीत उन्हें नौकरी दिलाने के लिए काफी होगी ताकि वह घर चलाने में अपनी मां की मदद कर सकें. धरुन केवल आठ साल के थे जब उनके पिता की मौत हो गई और तब से उनकी मां ने अकेले उन्हें पाल पोसकर बड़ा किया.

मिलनाडु के तिरुपुर के 21 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, ‘मैं आठ साल का था जब मेरे पिता गुजर गए. मेरी मां ने मेरे लिए काफी बलिदान दिए हैं. मेरे जीत की वजह वह ही हैं. वह शिक्षक हैं और उन्हें केवल 14,000 रुपए का मासिक वेतन मिलता है.’


धरुन अब अपनी मां की मदद करना चाहते हैं और उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के बाद अब नौकरी मिलने की उम्मीद है. तमिलनाडु के खिलाड़ी ने 48.96 सेकेंड का समय लेकर खुद का राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा और वह कतर के अब्दररहमान सांबा के बाद दूसरे स्थान पर रहे. धरुन 300 मीटर की दूरी तक चौथे स्थान पर थे, लेकिन आखिरी 100 मीटर में उन्होंने दो धावकों को पीछे छोड़कर रजत पदक हासिल किया.

महिलाओं की 3000 मीटर स्टीपलचेज में रजत पदक जीतने वाली अनुभवी खिलाड़ी सुधा सिंह ने पिछले एशियन गेम्स की निराशा को पीछे छोड़कर पदक जीतने से राहत की सांस ली. उत्तर प्रदेश के अमेठी की रहने वाली 32 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, ‘मैंने 2014 इंचियोन में अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय दिया था, लेकिन वह पदक के लिए काफी नहीं था. उसके कोई मायने नहीं थे.’ सुधा ने चीन के ग्वांग्झू में 2010 के एशियन गेम्स में स्वर्ण जीता था.