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69 मेडल@69 कहानियां: जिस सम्‍मान की खातिर छोड़ना पड़ा था घर-बार, गोल्‍ड जीतकर 'ब्‍याज सहित वसूला'

कहानी 13: 2014 कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स में ब्रॉन्‍ज मेडल जीतने के बाद भी पंजाब सरकार से अरपिंदर को अपेक्षित सम्‍मान नहीं मिला

FP Staff

ट्रिपल जंप में देश को गोल्‍ड मेडल दिलाने वाले पंजाब के अरपिंरद सिंह को आज हर कोई जानने लगा. मेडल जीतते उन्‍हें हर जगह से सम्‍मान भी मिलने लगा, लेकिन एक समय था जब उन्‍हें इसी सम्‍मान के खातिर अपने घर से दूर जाना पड़ा. घर से ही दूर नहीं बल्कि अपने शहर को भी छोड़ना पड़ा.


बात 2014 की है. कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स में ब्रॉन्‍ज मेडल जीतने के बाद भी पंजाब सरकार से अरपिंदर को अपेक्षित सम्‍मान नहीं मिला और इसी के निराश होकर उन्‍होंने अपने बेहतर भविष्‍य के लिए अपने शहर को छोड़कर सोनीपत चले गए. जहां उन्‍होंने अपनी कमियों पर काम किया. इसके बाद पंजाब का प्रतिनिधित्‍व न करते हुए नेशनल चैंपियनशिप में हरियाणा का प्रतिनिधित्‍व करते हुए नेशनल रिकॉर्ड स्‍थापित करते हुए गोल्‍ड जीता और यहां से उनके करियर को एक नई राह भी मिली. जहां वह अपने मेडल का रंग नहीं बदल पा रहे थे. हरियाणा आकर उन्‍होंने उस रंग को बदलने पर काम किया और इसी का नतीजा था कि इंडोनेशिया में हुए एशियन गेम्‍स में अरपिंदर ने ट्रिपल जंप में भारत का गोल्‍ड के लिए 48 साल का सूखा खत्‍म किया. इस एथलीट ने फाइनल मुकाबले में 16 77 मीटर की सर्वश्रेष्‍ठ छलांग लगाई थी.