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Asian Games 2018: बोपन्ना-शरण के गोल्ड मेडल मुकाबले में दिखा 'भारत-पाक भाईचारा'

बोपन्ना और दिविज शरन जब पुरुष डबल्स का सेमीफाइनल खेल रहे थे पाकिस्तान की टेनिस टीम उनका समर्थन कर रही थी

Bhasha

भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव को देखते हुए शांति भले ही एक सपना लगती हो लेकिन बड़े खेल आयोजनों में दोनों देशों के खिलाड़ी एक दूसरे से खुलकर मिलते जुलते हैं, यहां तक कि एक दूसरे की जमकर हौसला अफजाई भी करते हैं और यहां चल रहे एशियाई खेलों में भी ऐसा ही दिख रहा है.

रोहन बोपन्ना और दिविज शरन जब जकाबरिंग टेनिस सेंटर में पुरुष डबल्स का सेमीफाइनल खेल रहे थे पाकिस्तान की टेनिस टीम उनका समर्थन कर रही थी. शीर्ष वरीय भारतीय जोड़ी ने बाद में शुक्रवार को गोल्ड मेडल जीता.


पाकिस्तान के खिलाड़ी बोपन्ना के साथ तस्वीर खिंचाने के लिए कतार में खड़े थे. बोपन्ना 2010 में अपने पाकिस्तानी जोड़ीदार ऐसाम-उल-हक के साथ ग्रैंड स्लैम के फाइनल में पहुंचे थे.

बोपन्ना-कुरैशी को ‘पीस एक्सप्रेस’ नाम से बुलाया जाता था क्योंकि दोनों खिलाड़ी दोनों देशों के बीच शांति की जरूरत पर हमेशा जोर देते थे. इसी तरह निशानेबाजी रेंज में भी दोनों देशों के खिलाड़ियों के बीच भाइचारा दिखा.

रियो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाले पिस्टल निशानेबाज गुलाम मुस्तफा बशीर ने कहा कि भारतीय खिलाड़ियों के साथ उनकी दोस्ती होना स्वाभाविक है. उन्होंने कहा, ‘भारतीयों के साथ हमारी तुरंत ही बनने लगती है. हम एक ही भाषा बोलते हैं इसलिए भाषा की कोई समस्या नहीं होती जो कि दूसरे देशों के खिलाड़ियों के साथ होता है. हमारा एक दूसरे के साथ हमेशा दोस्ताना रूख होता है.’