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69 मेडल 69 कहानियां: कोर्ट के चक्कर काटते हुए खो दी नौकरी भी, लगाया सिल्‍वर पर निशाना

कहानी 25 : नौकरी जाने के बाद 37 साल के संजीव के पास अपनी शूटिंग पर ध्यान देने के अलावा नई नौकरी को ढूंढने का भी दबाव था

FP Staff

एशियन गेम्स में भारत के सबसे अनुभवी शूटर संजीव राजपूत ने देश को निराश नहीं किया और खेलों के तीसरे दिन देश को सिल्वर दिलाया. इसके साथ ही शूटिंग में देश को छठा मेडल हासिल हुआ.


गोल्डकोस्ट में 50 मीटर एयर रायफल थ्री पोजिशन में 454.5 पॉइंट्स हासिल करके, कॉमनवेल्थ गेम्स का रिकॉर्ड तोड़ते हुए गोल्ड मेडल जीता था. दरअसल ऐसा नहीं है कि संंजीव राजपूत को सिस्टम की खामी चलते नौकरी नहीं मिली है उनका मामला थोड़ा अलग है. इंडियन नेवी में काम कर चुके संजीव गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले भी इंटरनेशनल स्तर पर अपने हुनर का मुजाहिरा कर चुके हैं. संजीव को उनकी कामयाबी के बाद अर्जुन अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है लेकिन साल 2016 में उनपर लगे बलात्कार के एक आरोप ने उनको बेरोजगार बना दिया है.

अदालत में पहुंचा मुकद्मा

 दिसंबर 2016 में नेशनल लेवल की एक शूटर ने उनपर बलात्कार का आरोप लगाते हुए मुकद्मा कायम कराया था. यह मामला तो अब अदालत में चल रहा है लेकिन खुद पर लगे इस आरोप की संजीव को भारी कीमत चुकानी पड़ी है.

संजीव ने फर्स्टपोस्ट हिंदी को बताया था कि बलात्कार के इस आरोप के बाद साइ ने बतौर असिस्टेंट शूटिंग कोच उन्हें 8 दिसंबर, 2016 को सस्पेंड कर दिया और उन्हें साइ हेडक्वार्टर की कोचिंग डिवीजन में रिपोर्ट करने को कहा गया. इसके बाद जब मई, 2017 में लगातार तीन टूर्नामेंट्स के लिए भारतीय शूटिंग टीम में उनका चयन हुआ तो उन्होने अपने अधिकारियों के विदेश जाने की अनुमति मांगी, जो मंजूर नहीं हुई. इसके बावजूद संजीव इन टूर्नामेंट में भाग लेने गए और चेक रिपब्लिक से एक मेडल जीत कर भी लौटे. लेकिन साइ ने इसके बाद 26 जून,2017 को उन्हें नौकरी से बर्खास्त दिया.

संजीव बताते हैं कि बर्खास्तगी की वजह बताई गई कि ‘उनका कंडक्ट संतोषजनक नही पाए जाने के चलते उनका करार रद्द किया जाता है.’ संजीव का कहना है उन पर लगा हुआ केस अदालत में चल रहा है तो फिर अदालत के फैसले से पहले ही उन्हें नौकरी से हटाने का फैसला नहीं होना चाहिए था.

नेवी की पेंशन से  गुजारा

नौकरी जाने के बाद  37 साल के संजीव के पास अपनी शूटिंग पर ध्यान देने के अलावा नई नौकरी को ढूंढने का भी दबाव था.  बीते 10 महीने से संजीव भारतीय नेवी से मिलने वाली अपनी पेंशन के सहारे गुजारा कर रहे हैं. हरियाणा के यमुना नगर के रहने वाले संजीव को अब हरियाणा सरकार से नौकरी मिलने की उम्मीद है. इसी सिलसिले में वह कई बार सरकार के लोगों से मिल चुके हैं लेकिन अब तक उन्हें नौकरी हासिल नहीं हो सकी है.

संजीव राजपूत ने 10.3 पॉइंट का निशाना लगाकर अंतिम तीन में शुमार हो गए थे. 10.4 पॉइंट का निशाना लगाकर संजीव राजपूत ने सिल्वर पक्का कर लिया है. आखिरी शॉट भी वह 10.4 पॉइंट्स का ही लगा सके और इसी के साथ भारत के खाते में एक और सिल्वर मेडल आ गया है. गोल्ड मेडल चीन के शूटर ने अने नाम किया. हालांकि संजीव का यहां तक का सफर आसान नहीं रहा. उन्‍होंने खुद को इसके लिए मानसिक तौर पर मजबूत किया, क्‍योंकि संजीव लंबे समय से बेरोजगार चल रहे हैं और इस साल कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स में गोल्‍ड जीतने के बाद उन्‍हें नौकरी की आस जगी थी, लेनिक अभी तक मिल नहीं पाई. कॉमनवेल्थ में गोल्ड मेडल जीतने वाले संजीव राजपूत  पिछले 10 महीनों से नौकरी की तलाश में हैं.