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69 मेडल@69 कहानियां: 'भगवान' ने भी खेला था किस्‍मत का खेल

कहानी 68: ख्‍वाब तो उन्‍होंने पत्रकार बनने का देखा था

FP Staff

इस एशियन गेम्‍स में भारत को रोइंग में काफी लंबे समय बाद सफलता मिली. जिसमें रोहित कुमार और भगवान सिंह का भी योगदान रहा. मेंस लाइटवेट डबल्‍स स्‍कल्‍स में इस जोड़ी ने भारत को ब्रॉन्‍ज मेडल दिलाया. देश को मेडल दिलाने में अहम योगदान देने वाले भगवान दरअसल पत्रकार बनना चाहते थे, लेकिन उस भगवान ने इस भगवान की किस्‍मत में कुछ और ही लिखा था. इसीलिए वह पत्रकार न बनकर खिलाड़ी बन गए.

दरअसल भगवान को सपना को पत्रकार बनने का था और अपने इसी सपने को पूरा करने करने के लिए उन्‍होंने स्‍कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग में एडमिनशन ले लिया, लेकिन इसी बीच उनके पिता काफी बीमार हो गए और इलाज में अधिक पैसा खर्च होने के कारण तंगी भी गई. पिता का कामधाम भी ठप हो गया. ऐसे में भगवान अपने परिवार का सहारा बने और पढ़ाई लिखाई छोड़कर आर्मी ज्‍वाइन कर ली और यही से इनकी किस्‍मत ने करवट बदली और एक नए सपने की ओर बढ़ने लगी. आर्मी में रहते हुए भगवान ने 2012 में रोइंग करना शुरू किया और लगातार अपने खेल में सुधार करते हुए बेहतरीन प्रदर्शन किया, जिसका परिणाम आज सभी के सामने हैं.