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69 मेडल@69 कहानियां: लोगों को नहीं थी उम्मीद तो क्या, राही ने अपने विश्वास से बनाई राह

कहानी 4: राही ने 10 मीटर एयर राइफल में गोल्ड मेडल अपने नाम किया

FP Staff

एक ऐसा इवेंट जहां लोगों को आपसे ज्यादा आपके हमवतन विरोधी से उम्मीदें हों, जब आप पर एक लंबे समय बाद वापसी का दबाव हो और इन सब विचारों के बीच आप गोल्ड पर निशाना लगाते हैं. देश को चौथा गोल्ड मेडल दिलाने वाली राही सरनोबत ने ना सिर्फ खुद को साबित किया बल्कि बताया कि मेहनत और दृढ़ निश्चय से हर काम पूरा किया जा सकता है.

सातवें नंबर पर रहकर किया था क्लाविफाई


राही ने क्‍वालिफिकेशन में सातवें स्‍थान के साथ क्‍वालिफाई किया, वहीं हमवतन मनु भाकर ने गेम्‍स के रिकॉर्ड के साथ क्‍वालिफाई किया. इसी वजह से हर किसी कि नजर राही पर ना होकर मनु पर थी. फाइनल शुरू हुआ और शुरुआती पांच शॉट्स में राही शीर्ष पर रही. मनु नीचे फिसलती रही. राही फाइनल में पहुंची जहां उनका मुकाबला थाईलैंड की यांगपेबोन से था लेकिन उन्होंने उन्हें मात देकर गोल्ड अपने नाम किया.

2015 में राही को उसी हाथ में चोट लगी, जिस हाथ से वह पिस्‍टल चलाती है, लेकिन इसके बावजूद वह रियो ओलिंपिक में उतरना चाहती थी और इसके लिए उन्‍होंने 2016 ओलिंपिक क्‍वालिफायर्स में शूट किया, लेकिन इसके बाद उन्‍हें अपनी गलती का अहसास हुआ कि चोट और ज्‍यादा बढ़ गई है. राही ओलिंपिक के लिए क्‍वालिफाइ भी नहीं कर पाई, साथ ही करीब एक साल के लिए शूटिंग से भी दूर हो गई. इसके बाद चोट से उबरने में उन्‍हें काफी समय लग गया. उस समय उन्‍होंने खुद को मानसिक रूप से भी मजबूत किया. घर में रहते हुए उन्‍हें अपने करियर की एक नई शुरुआत करने की सोची और 2017 में एक अच्‍छे कोच की तलाश की. काफी रिचर्स के बाद राही ने दो बार के ओलिंपिक मेडलिस्‍ट मंगोलिया के मुखब्‍यार पर अपना ध्‍याप क्रेंद्रित किया. वह सिर्फ ओलिंपिक मेडलिस्‍ट के साथ ही ट्रेनिंग करना चाहती थी और उसके बाद एक बार फिर राही ने अपने सफर की शुरुआत की और उस चोट के उबरने के बाद यह उनका पहला मेडल भी है