आज से 10 साल पहले पुणे में हुए कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स से राही सरनोबत का मेडल और खासकर गोल्ड मेडल जीतने का सफर शुरू हुआ था और बुधवार को 10 साल बाद एशियन गेम्स में गोल्ड के साथ उस सफर पहली मंजिल मिली, लेकिन इन 10 सालों के सफर एक समय करियर खत्म होने के राह पर भी आ गया था, लेकिन राही उठी, चली और परिणाम आपके सामने हैं, लेकिन मुकाबले में गोल्ड तक पहुंचना भी उनके लिए शायद अब तक का सबसे मुश्किल रहा होगा. क्वालिफिकेशन में सातवें स्थान के साथ क्वालिफाई किया, वहीं हमवतन मनु भाकर ने गेम्स के रिकॉर्ड के साथ क्वालिफाई किया. इसी वजह से हर किसी कि नजर राही पर ना होकर मनु पर थी. फाइनल शुरू हुआ और शुरुआती पांच शॉट्स में राही शीर्ष पर रही. मनु नीचे फिसलती रही.
राही शीर्ष पर बनी रही, लेकिन उन्हें टक्कर मिल रही थी थाईलैंड की यांगपेबोन, अब सबकी नजरें थी राही पर. एक- एक करके सभी निशानेबाज बाहर निकल गए. बचीं सिर्फ हमारी राही और थाई खिलाड़ी. दोनों बराबर पर रहीं. शूट ऑफ में दोनों शूटर्स ने सिर्फ एक- एक निशाना भी मिस किया और पहला शूट ऑफ 4-4 से बराबर रहा. एक बार फिर शूट ऑफ हुआ. राही ने दूसरे शूटऑफ में 3-2 से बढ़त बना रखी थी, लेकिन थाई खिलाड़ी के पास एक शॉट और था और राही के पास नहीं. इस आखिरी शॉट पर थाई खिलाड़ी सटीक निशाना नहीं लगा पाई और इसी के साथ एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाली राही पहली भारतीय महिला निशानेबाज बन गई. राही ने अपने जिस हाथ से एक बाद एक सटीक निशाने लगाए, एक समय उसी हाथ ने राही के करियर को रोक दिया था. लेकिन क्या आप जानते हैं उनका यहां तक का सफर कैसा रहा है. 2015 की बड़ी चोट के बाद गोल्ड पर निशाना कैसे लगाया उन्होंने...
2015 में राही को उसी हाथ में चोट लगी, जिस हाथ से वह पिस्टल चलाती है, लेकिन इसके बावजूद वह रियो ओलिंपिक में उतरना चाहती थी और इसके लिए उन्होंने 2016 ओलिंपिक क्वालिफायर्स में शूट किया, लेकिन इसके बाद उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ कि चोट और ज्यादा बढ़ गई है. राही ओलिंपिक के लिए क्वालिफाइ भी नहीं कर पाई, साथ ही करीब एक साल के लिए शूटिंग से भी दूर हो गई. इसके बाद चोट से उबरने में उन्हें काफी समय लग गया. उस समय उन्होंने खुद को मानसिक रूप से भी मजबूत किया. घर में रहते हुए उन्हें अपने करियर की एक नई शुरुआत करने की सोची और 2017 में एक अच्छे कोच की तलाश की. काफी रिचर्स के बाद राही ने दो बार के ओलिंपिक मेडलिस्ट मंगोलिया के मुखब्यार पर अपना ध्याप क्रेंद्रित किया. वह सिर्फ ओलिंपिक मेडलिस्ट के साथ ही ट्रेनिंग करना चाहती थी और उसके बाद एक बार फिर राही ने अपने सफर की शुरुआत की और उस चोट के उबरने के बाद यह उनका पहला मेडल भी है