view all

Asian Games 2018: इस बार सिर्फ फाइनल नहीं गोल्ड है सिंधु का लक्ष्य!

पीवी सिंधु पिछले कुछ समय से प्रमुख टूर्नामेंट के फाइनल में जाकर गोल्ड से चूक जाती है

FP Staff

नाम- पीवी सिंधु

खेल- बैडमिंटन


उम्र- 22 साल

कैटेगरी- सिंगल्स

पिछला प्रदर्शन - साल 2014 के एशियन गेम्स में वह राउंड ऑफ 16 से बाहर हो गईं थी

आठ साल की उम्र में रैकेट थामने वाली पीवी सिंधु आज भारत की स्टार शटलर हैं. सालों की अपनी मेहनत और कोच पुलेला गोपीचंद के मार्गदर्शन में आज वह उस मुकाम पर पहुंची हैं जहां वो आज है. सिंधु के माता पिता खेल के मैदान से जुड़े थे, लेकिन बैडमिंटन से नहीं. वह दोनों वॉलीबॉल प्लेयर थे. लेकिन साल 2001 में पुलेला गोपीचंद को ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप में खेलता देख उन्होंने बैडमिंटन को चुना.

एशियन गेम्स पिछली बार उनका सफर केवर राउंड ऑफ 16 में थम गया था. आठ साल की उम्र में गोपीचंद को बैडमिंटन खेलते देख उन्होंने मां बाप की तरह वॉलीबॉल की जगह रैकेट थामने का फैसला किया. साल 2013 में उन्होंने अपना पहला ग्रांप्री अपने नाम किया. 2016 के रियो ओलिंपिक में केरोलिना मारिन से हारने से पहले उन्होंने जू यिंग, ओकोहारा जैसे दिग्गजों को मात दी थी. सिल्वर मेडल जीतने वाली सिंधु के लिए यह बड़ा मौका है. भले ही वह पुरुष खिलाड़ी थे, जिन्होंने इस सत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए बैडमिंटन में नई इबारत लिखी. लेकिन पीवी सिंधु ने एक बार फिर नई उपलब्धियां हासिल कीं.

इस साल सिंधु ने शादार खेल दिखाया है लेकिन हर बार वह फाइनल में जाकर चूक जाती थी. एशियन गेम्स में उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती फाइनल के इसी दबाव से लड़ना होगा. हालांकि उनके फाइनल की राह में भी काफी चुनौती है. एशियम गेम्स में उनके सामने नोजोमा ओकुहारा, अकाने यामागुची, ताइ यिंग जैसी मजबूती चुनौती होगी. हाल ही में खत्म हुई बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियशिप में उन्होंने ओकुहारा और यामागुची को मात देकर फाइनल में जगह बनाई थी. कोच पुलेला गोपीचंद एक बार उनसे यही उम्मीद करेंगे और देश चाहेगा इस बार वह फाइनल में पहुंचे ही नहीं बल्कि मेडल भी जीत लाएं.