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Asian Games 2018: सदाबहार पेस उम्र को पीछे छोड़ने को तैयार, यंग ब्रिगेड के लिए भी है चमकने का मौका

इंचियोन में हुए 2014 के खेलों में भी उसने एक गोल्ड सहित पांच पदक जीते थे

Manoj Chaturvedi

एशियाई खेलों में टेनिस ऐसा खेल है, जिसमें भारत ठीक-ठाक प्रदर्शन करता रहा है. इंचियोन में हुए 2014 के खेलों में भी उसने एक गोल्ड सहित पांच पदक जीते थे. पर यह प्रदर्शन 2010 के ग्वांगझू खेलों के मुकाबले थोड़ा कमजोर था क्योंकि उसमें भारत ने जीते तो पांच ही पदक थे पर उसमें दो स्वर्ण पदक शामिल थे. भारत ने अब तक एशियाई खेलों की टेनिस में आठ स्वर्ण, 6 रजत और 15 कांस्य पदक सहित कुल 29 पदक जीते हैं. पदक जीतने के मामले में वह जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और चीन के बाद पांचवें स्थान पर है. एशियाई खेलों में टेनिस को 1958 में जापान में शामिल किया गया. पर भारत ने पदक जीतने की शुरुआत 1978 के बैंकॉक एशियाई खेलों से की. भारत के लिए पहला पदक जीतने वाली श्याम मिनोत्रा और चिरदीप मुखर्जी की जोड़ी थी.

सबसे सफल लिएंडर पेस


भारतीय टेनिस खिलाड़ियों में सबसे सफल लिएंडर पेस हैं. वह अब तक एशियाई खेलों में पांच स्वर्ण सहित सात पदक जीत चुके हैं. देश में सबसे ज्यादा 18 ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने वाले लिएंडर पेस इस समय उम्र के उस पड़ाव पर हैं, जहां आमतौर पर टेनिस खेलते नजर नहीं आते हैं. वह 45 साल की उम्र को पार कर चुके हैं. इसलिए उनके खेलना जारी रखने के जज्बे को दुनिया सलाम करती है. लिएंडर पेस ने पहला स्वर्ण पदक 1994 के हिरोशिमा एशियाई खेलों में गौरव नाटेकर के साथ जोड़ी बनाकर पुरुष युगल में जीता था.

लिएंडर पेस

इसके बाद उन्होंने महेश भूपति के साथ दो, सानिया मिर्जा के साथ एक और टीम स्पर्धा का स्वर्ण जीता है. लिएंडर पेस एशियाई खेलों के हिसाब से ही नहीं बल्कि हर तरह से देश के सफलतम टेनिस खिलाड़ी हैं और ओलिंपिक में कांस्य के रूप में पदक जीतने वाले इकलौते भारतीय टेनिस खिलाड़ी हैं. वह एक बार फिर पदक जीतने का जज्बा तो रखते ही हैं.

लिएंडर की जोड़ी बदलने की बात

इन खेलों में भाग लेने के लिए भारत ने 12 सदस्यीय दल की घोषणा की है, जिसमें छह पुरुष और इतनी ही महिला खिलाड़ी शामिल हैं. टीम की घोषणा के समय बताया गया कि लिएंडर पेस युवा खिलाड़ी सुमित नागल के साथ जोड़ी बनाकर खेलेंगे. लेकिन बाद में टीम के कप्तान जीशान अली ने कहा कि लिएंडर पेस के साथ नागल के बजाय रामकुमार रामनाथन को उतारे जाने की संभावना है. इसकी वजह पेस किसी अनुभवी खिलाड़ी के साथ खेलना चाहते थे.

देश के नंबर वन युगल खिलाड़ी रोहन बोपन्ना की दिविज शरण के साथ जोड़ी पहले ही बन गई थी, इसलिए रामकुमार के साथ जोड़ी बनाने की बात चली है. वैसे भी पेस और रामकुमार एक बार जोड़ी बनाकर खेल चुके हैं. वह 2016 में पुणे चैलेंजर में साथ खेले थे और क्वार्टर फाइनल तक चुनौती पेश की थी. यह दोनों ही जोड़ियां पदक जीतने का माद्दा रखती हैं.

रामकुमार रामनाथन के लिए है मौका

रामकुमार रामनाथन के लिए इस बार एकल में पदक जीतने का अच्छा मौका है. इसकी प्रमुख वजह तो उनका शानदार फॉर्म में होना है. उन्होंने पिछले दिनों न्यूपोर्ट एटीपी टूर्नामेंट में फाइनल तक चुनौती पेश की. वह फाइनल में स्टीव जॉनसन से हार गए. वह यदि खिताब जीत जाते तो लिएंडर पेस के बाद 20 सालों में खिताब जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन जाते. इन दोनों के अलावा सिर्फ सोमदेव देववर्मन ने 2011 में फाइनल तक चुनौती पेश की थी.

रामकुमार रामनाथन

रामकुमार की राह आसान होने की वजह इस बार एशियाई खेलों का यूएस ओपन से टकराना हैय इस कारण से इस बार 22वीं रैंकिंग के जापानी खिलाड़ी केई निशिकोरी सहित सात जापानी खिलाड़ी, पिछली बार युगल खिताब जीतने वाले दक्षिण कोरियाई खिलाड़ी हियोन चुंग, कजाकिस्तान के 86वीं रैंकिंग के खिलाड़ी मिखाइल कुकुशकिन और उज्बेकिस्तान के 76वीं रैंकिंग के डेनिस इस्तोमिन भाग नहीं ले रहे हैंय भाग नहीं लेने वालों में भारत के नंबर एक खिलाड़ी युकी भांबरी भी शामिल हैं. जापान के टॉप खिलाड़ियों के भाग नहीं लेने की वजह उनका 2020 के टोक्यो ओलिंपिक को ध्यान में रखकर तैयारी करना है. वह चाहते हैं कि उनके ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी पहले 100 में शामिल हों. वह यह भी जानते हैं कि यह काम ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंटों में भाग लेकर ही किया जा सकता है.

सानिया मिर्जा की खलेगी कमी

सानिया मिर्जा की अनुपस्थिति इस बार भारतीय दल को खलेगी. वह पिछले काफी समय से निजी कारणों से टेनिस से अलग बनी हुई हैं. सानिया ने चार साल पहले भारत को इंचियोन में टेनिस में इकलौता स्वर्ण दिलाया था. वह साकेत मायनेनी के साथ जोड़ी बनाकर मिश्रित युगल में खिताब जीतने में सफल रहीं थीं. उन्होंने अपनी अकादमी की प्रार्थना थोम्बारे के साथ महिला युगल में कांस्य पदक भी जीता था. सानिया इसके अलावा 2006 में पेस के साथ स्वर्ण और महिला एकल में रजत और 2010 में कांस्य पदक जीत चुकी हैं. इन खेलों में उनके पेस या बोपन्ना का जोड़ीदार बनने पर स्वर्ण पदक पक्का होता. इसके अलावा वह महिला युगल और एकल में भी पदक जीतने का माद्दा रखती थीं. इसलिए उनकी अनुपस्थिति खलने वाली तो जरूर है.

यंग ब्रिगेड के लिए चमकने का मौका

सानिया मिर्जा की अनुपस्थिति का फायदा उठाने का करमन कौर थांडी और अंकिता रैना के पास मौका है. यह दोनों ही इस समय टॉप 200 में शामिल हैं. करमन ने पिछले दिनों हॉन्गकॉन्ग में आईटीएफ सिंगल्स खिताब जीतने के अलावा चीन में दो आईटीएफ टूर्नामेंटों में सेमीफाइनल तक चुनौती पेश करके अपनी क्षमता का अहसास कराया है. करमन के कोच आदित्य सचदेवा कहते हैं कि करमन के खेल की जान जबर्दस्त फोरहैंड होने के साथ बिग सर्विस है. आमतौर पर खिलाड़ी किसी एक खूबी के बूते पर चमक जाते हैं पर करमन के पास तो दो खूबियां हैं.

करमन कौर थांडी

अंकिता रैना भी आजकल अच्छी फॉर्म में हैं वह इस साल मार्च में ग्वालियर में और जुलाई में थाईलैंड में आईटीएफ खिताब जीत चुकी है. इन दोनों खिलाड़ियों के पास सुर्खियां पाने का अच्छा मौका है. लिएंडर पेस की बढ़ती उम्र और सानिया मिर्जा की अनुपस्थिति के बाद भी भारत के इस बार इंचियोन में जीते एक स्वर्ण, एक रजत और तीन कांस्य पदक से बेहतर प्रदर्शन करने का मौका है. रामकुमार यदि एकल स्वर्ण जीत सके और करमन और रैना पदक ला सकीं तो यह भारतीय टेनिस के भविष्य के लिए बहुत अच्छा होगा.