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69 मेडल@69 कहानियां: बचपन में कमजोर समझे जाने वाले अमित कैसे बने 'शेर दिल' मेडलिस्ट!

कहानी 3: अमित समय से पहले पैदा हो गए थे इसी कारण वह बेहद कमजोर थे पर उनके मुक्कों का दम देखकर इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल है

FP Staff

एशियन गेम्स में ओलिपिंक चैंपियन पर घूंसे बरसाने वाले भारतीय बॉक्सर अमित पंघाल ने देश के लिए 49 किलो वर्ग में पहला गोल्ड मेडल जीता. अमित के दमदार प्रदर्शन को देखकर यह अंदाजा लगाना शायद मुश्किल है कि बचपन में अमित को कमजोर मानकर उनका मजाक उड़ाया जाता था.

अमित पंघाल हरियाणा के रोहतक ज़िले के मायना गांव से आते हैं. उनके पिता एक किसान हैं, जबकि उनके बड़े भाई अजय पंघाल सेना में हैं. इंडियन एक्सप्रेस में खबी छपर के मुताबिक उनकी मां ने बताया कि अमित समय से पहले पैदा हो गए थे. इसी कारण वह बेहद कमजोर थे. उनकी मां दिन-रात बस इसी कोशिश में रहती थी कि किसी तरह अमित का वजन बढ़ जाए. जब वह स्कूल में पहुंचे तो अक्सर गांव के बड़े लड़को के साथ उनकी लड़ाई होती रहती थी. कमतजार होने के बावजूद अमित डरते नहीं थे, तब ही उनके परिवार को एहसास हुआ कि उन्हें भले ही लगता रहा हो लेकिन अमित कमजोर नहीं है.


साल 2008 में उन्होंने बॉक्सिंग की शुरुआत की थी. अमित के चाचा गांव में बच्चों को बॉक्सिंग की ट्रेनिंग देते थे. यहां ट्रेनिंग के लिए उनके भाई अजय भी जाते थे. अमित शुरूआत में यहां बॉक्सिंग सीखने के लिए नहीं जाते थे बल्कि सिर्फ फिजिकल फिटनेस के लिए वो यहां पहुंचते थे. लेकिन चाचा ने देखा कि अमित का बॉक्सिंग से लगाव है ऐसे में वो उन्हें भी ट्रेनिंग देने लगे.साल 2015 से अमित ने पटियाला में ट्रेनिंग शुरू की. लेकिन इसके बावजूद शनिवार-रविवार और छुट्टी के दिन वो अपने गांव में चाचा से बॉक्सिंग के गुर सीखने जाते थे.

इस बार कॉमवेल्थ खेलों में पंघाल ने सिल्वर मेडल जीता था. फाइनल में वो इंग्लैंड के गाला याफी के खिलाफ हार गए थे. फाइनल में हारने के बाद अमित ने कहा था कि उन्हें हाथों में इंजरी हो गई थी इसके चलते वो पूरी ताकत के साथ नहीं खेल सके थे. लेकिन उन्होंने वादा किया था कि वो एशियाई खेलों में जरूर मेडल लेकर आएंगे और उन्होंने अपना यह सपना पूरा किया.