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69 मेडल@69 कहानियां: संघर्ष और जिद का नाम है नीरज

कहानी 7: गरीबी से लड़कर स्टेडियम पहुंचे तो कोच का साथ नहीं मिला. कोच के जाने के बाद तकनीक के सहारे यू ट्यूब को गुरु बनाया

FP Staff

इस एशियन गेम्‍स में देश को जिन खिलाडि़यों से गोल्‍ड मेडल की पूरी उम्‍मीद थी, उनके ये नीरज चोपड़ा भी एक थे. कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स में गोल्‍ड जीतने के बाद नीरज ने इंडोनेशिया में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और 88 मीटर से अधिक थ्रो करने गोल्‍ड जीता. हर थ्रो के बाद नीजर को देखकर ऐसा लग रहा था कि मानो वो कह रहे हो कि गोल्‍ड तो सिर्फ उनका ही है. इतना आत्‍मविश्‍वास उनमें ऐसे ही आया. गरीबी से लड़कर स्टेडियम पहुंचे तो कोच का साथ नहीं मिला. कोच के जाने के बाद तकनीक के सहारे यू ट्यूब को गुरु बनाया लेकिन हार नहीं मानी और इसी जिद ने उन्‍हें आत्‍मविश्‍वास से भर दिया.


नीरज यह खुद-ब-खुद में संघर्ष और संकल्प की एक कहानी है. हरियाणा के पानीपत के एक किसान के बेटे नीरज एक समय पर उस खेल का नाम तक नहीं जानते थे जिसमें उन्होंने गोल्‍ड जीता. खेलकूद के शौकीन नीरज चोपड़ा दोस्तों के साथ घूमते फिरते एक दिन पानीपत के शिवाजी स्टेडियम जा पहुंचे. वहां अपने कुछ सीनियर्स को जेवलिन थ्रो करते हुए देख, खुद ने भी जेवलिन थाम लिया. पहली बार जेवलिन थ्रो करने वाले नीरज को उस दिन लगा कि यह खेल उनके लिए जिंदगी है. वह इसमें आगे बढ़ने के बारे में सोचने लगे, लेकिन मध्यम वर्गीय परिवार में जन्में ज्यादातर बच्चों के ख्वाब तो उनकी आंखों में ही मर जाते हैं.

आर्थिक तंगी का सामना ताकत के बूते किया

नीरज के लिए भी यह बहुत आसान तो नहीं था. वह जानते थे कि एक संयुक्‍त परिवार में किसी एक व्यक्ति पर ज्यादा खर्च नहीं किया जा सकता. घर के आर्थिक हालात भी उनसे छिपे नहीं थे, लेकिन इन सब पहलुओं को दरकिनार करते हुए उन्होंने जेवलिन थाम लिया और अपनी ताकत के बूते पहले राष्ट्रीय स्तर पर कई मुकाबले जीते. फिर महज 18 साल की उम्र में अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी परचम लहराया. महज 18 साल की उम्र में अंडर 20 वर्ल्ड चैंपियनशिप में रिकॉर्ड तोड़ते हुए उन्होंने गोल्ड मेडल जीता.

कोच के इस्तीफे के बाद यू ट्यूब को बना लिया कोच

हालांकि नीरज के जेवलिन थ्रो में रिकॉर्ड रचने के बाद भारतीय जेवलिन थ्रो के कोच गैरी कॉलवर्ट्स ने संघ से विवाद के चलते अप्रैल 2017 में इस्तीफा दे दिया था. गैरी के जाने के बाद भारतीय जेवलिन थ्रो टीम के पास कई महीनों तक कोई कोच नहीं था. गैरी की ही कोचिंग में नीरज ने वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया था. उनके जाने के बाद नीरज ने यू-ट्यूब का सहारा लेते हुए अपनी ट्रेनिंग जारी रखी. हालांकि इस दौरान वह लंदन विश्व चैंपियनशिप में कोई खास प्रदर्शन नहीं कर सके थे.खराब प्रदर्शन से जूझ रहे नीरज ने फिर तीन महीने जर्मनी में ट्रेनिंग ली. जिसके बाद भारत वापस आकर कोच ओवे होम की निगरानी में कोचिंग की.