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69 मेडल 69 कहानियां: 24 गांवो का होता था दंगल, 10 हजार लोगों के बीच दिव्‍या लड़कों से करती थी दो-दो हाथ

कहानी 20: बजरंग और विनेश के गोल्ड के बीच एक कांसे की चमक कहीं छुप गई. लेकिन दिव्या काकरान का ब्रॉन्ज मेडल भी कम नहीं है

FP Staff

बजरंग और विनेश के गोल्ड के बीच एक कांसे की चमक कहीं छुप गई. लेकिन दिव्या काकरान का ब्रॉन्ज मेडल भी कम नहीं है. 68 किलो वर्ग में उन्होंने एशियन गेम्स का ब्रॉन्ज जीता. कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप की गोल्ड मेडलिस्ट दिव्या ने चीनी ताइपे के चेन वेनलिंग को डेढ़ मिनट के अंदर हराकर पदक अपने नाम किया. वो मंगोलियाई पहलवान से हारी थीं. लेकिन रेपचेज में मिले मौके की वजह से उन्हें कांस्य पदक मिला.


उत्तरी दिल्ली की रहने वाली दिव्या ने लड़कों के साथ दंगल में लड़ने से खुद को लगातार बेहतर किया. 24 गांवों के एक दंगल में वो हिस्सा लिया करती थीं. दंगल देखने के लिए दस हजार से भी ज्यादा लोग हुआ करते थे. पूरा परिवार दिल्ली से जाता था. दिव्या लड़कियों को फटाफट हरा देती थी. यहां से लड़कों के साथ उनके दंगल की शुरुआत हुई. वहां से तरक्की करके दिव्या एशियन गेम्स के पोडियम तक पहुंची हैं. सही है कि एशियन गेम्स में कुश्ती की बातें सुशील के जल्दी हार जाने और बजरंग, विनेश के गोल्ड मेडल में सिमट गईं. लेकिन दिव्या के कांस्य पदक को कतई नहीं भूलना चाहिए. यह पदक उन्हें लंबी दूरी तय करवा सकता है.