एशियन गेम्स में भारत की रोइंग टीम से मेडल की उम्मीदें थी. हालांकि टीम इवेंट से एक दिन पहले इन उम्मीदों को झटका लगा जब टीम के अहम खिलाड़ी दत्तू भोकानाल बुखार के कारण बिमार पड़ गए थे. इसके बावजूद देश को इस इवेंट में गोल्ड मिला. इस गोल्ड की असली हकदार थी दत्तू की हिम्मत.
भारत को दत्तू भोकानाल, स्वर्ण सिंह, ओमप्रकाश और सुखमीत सिंह रोइंग मैन्स टीम ने गोल्ड दिलाया, लेकिन इस गोल्ड टीम के स्टार दत्तू के लिए पोडियम तक पहुंचना आसान नहीं था. वह बुखार में थे और जिस कारण पांचवें दिन वह पुरुष एकल स्कल्स में छठें स्थान पर भी रहे थे और उनकी खराब तबीयत को ध्यान में रखते हुए उन्हें टीम से बाहर किए जाने के लिए सोचा जा रहा था, लेकिन उन्हें मौका दिया और दत्तू ने इस फैसले को सही भी साबित किया. रोइंग टीम के इस जज्बे के दत्तू सिर्फ अकेले ही उदाहरण नहीं हैं. भारतीय टीम ने 6:17:17के वक्त के साथ यह गोल्ड अपने नाम किया.
भारत को ब्रॉन्ज मेडल दिलाने वाले दुष्यंत जब पानी में उतरे थे, तो वो इतने ज्यादा बीमार थे कि माना जा रहा था कि उनके लिए रेस पूरा करना भी मुश्किल होगा, लेकिन उन्होंने न सिर्फ रेस पूरी की, बल्कि भारत को ब्रॉन्ज मेडल भी दिलाया. शुरुआत से लेकर फिनिश लाइन तक उन्होंने खुद को टूटने नहीं दिया और अपने साथ भारत की भी उम्मीदों को कायम रखा, लेकिन जैसे ही वह तीसरे नंबर पर फिनिश लाइन पर पहुंचे, उनकी तबीयत और अधिक बिगड़ गई. फिनिश लाइन के बाद उन्हें ऑक्सीजन और ड्रिप्स चढ़ाई गई. यहीं नहीं व्हील चेयर से उन्हें लाया गया. रोइंग ने एक और ब्रॉन्ज मेडल भगवान सिंह और रोहित ने लाइटवेट डबल स्कल्स में दिलाया.