भारत को एशियन गेम्स में जिस खेल से गोल्ड मेडल की सबसे ज्यादा उम्मीद जिस खेल से थी वो था. भारत की महिला और पुरुष टीमों का रिकॉर्ड शानदार उनकी जीत की गारंटी थी. हालांकि इस बार पुरुष और महिला दोनों ही टीमें गोल्ड जीतने में नाकाम रही. दोनों के सफर पर विराम लगाने वाली टीम थी ईरान.
ईरान की पुरुष टीम ने भारतीय टीम को सेमीफाइनल में हराया वहीं महिला टीमइ ने फाइनल में मात दी. महिला टीम की हार में औसत अंपायरिंग को पर सवाल उठाए गए, इसके बावजूद ईरान की टीम का शानदार डिफेंस उनकी जीत के पीछे का मुख्य कारण बना. उनकी इस जीत में एक और शख्स की बेहद अहम भूमिका थी जो टीम की रीढ़ की हड्डी मानी जाती है. ईरान महिला टीम की कोच शैलजा जैन. भारत की पूर्व कबड्डी खिलाड़ी ने टीम को एशियन गेम्स से पहले इस तरह तैयार किया कि वह ना सिर्फ फाइनल में पहुंची बल्कि चैंपियन भारत को भी मात दी.
18 महीने पहले जब शैलजा टीम से जुड़ी तब उन्होंने ठान लिया था कि वह बिना मेडल के वापस नहीं लौटेंगी. उन्होंने फाइनल से पहले अपनी टीम से कहा था कि वह उनसे कोई तोहफा नहीं चाहती बस गोल्ड चाहती है.
भारतीय टीम की हार पर उन्होंने कहा, 'मुझे बुरा लगा कि भारतीय टीम हार गई क्योंकि वह मेरा देश है और मैं उससे बहुत प्यार करती हूं पर मैं उतना ही प्यार कबड्डी से भी करती हूं.'
खिलाड़ियों को सिखाया प्रणायाम
इरानी टीम हिजाब पहनकर खेलती है. वहां पहनावे को लेकर काफी सख्त नियम हैं. हालांकि शैलजा के मुताबिक उनपर इसके लिए दबाव नहीं डाला गया. बल्कि उन्होंने टीम के खिलाड़ियों को प्रणायाम सिखाया और इसके उनकी दिनचर्या का हिस्सा बनाया.
(एजेंसी इनपुट के साथ)