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Asian Games 2018: दुतीचंद के मेडल के पीछे है बैडमिंटन गुरु गोपीचंद का रोल!

भारतीय एथलीट दुती चंद ने 100 मीटर फर्राटा रेस में जीता है सिल्वर मेडल

FP Staff

मौजूदा दौर में दुनिया के टॉप बैडमिंटन कोचेस में शुमार भारत के पुलेला गोपीचंद को भारतीय बैडमिंटन में कई चैंपियन खिलाड़ियों को तैयार करने का क्रेडिट दिया जाता है. गोपीचंद की एकेडमी में बैडमिंटन के गुर सीखने वालीं सायना नेहवाल और पीवी सिंधु तो ओलिंपिक्स में मेडल जीत चुकी हैं और एशियाड में  भी ऐसिहासिक सेमीफाइनल में पहुंच चुकी हैं.

लेकिन जकार्ता एशियन गेम्स में सायना, सिंधु के फाइनल में पहुंचने से पहले ही एक और ऐसी एथलीट ने सिल्वर मेडल जीत लिया है जिसकी कामयाबी में गोपीचंद का हाथ है. यह मेडल बैडमिंटन के कोर्ट से नहीं बल्कि ट्रैक एंड फील्ड से आया है और एथलीट हैं दुती चंद.


दरअसल बैडमिंटन के कोच गोपीचंद ने एथलेटिक्स की रेसर दुती चंद का उस वक्त साथ दिया था जब उनकी खुद की फेडरेशन ने भी उनसे किनारा कर लिया था. यह वाकया साल 2014 का है जब टेस्टोस्टेरॉन के हाइ लेवल के चलते दुती चंद को सस्पेंड कर दिया गया था. निराश दुती के पास उस वक्त अपनी ट्रेनिंग को जारी रखने का कोई तरीकी नहीं था और ऐसे वक्त में गोपीचंद ने अपनी एकेडमी में जगह दी. हैदराबाद में गोपीचंद की मशहूर बैडमिंटन एकेडमी में दुती चंद ने अपनी एथलेटिक्स की प्रैक्टिस को बरकरार रखा. बाद में नियम बदले और दुती की एथलेटिक्स के ट्रैक पर वापसी हो गई.

दुती अब भी गोपीचंद की एकेडमी में ही ट्रेनिंग करती हैं. समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए गोपीचंद ने कहा है, ‘जिस तरह से दुती ने अपने सस्पेंशन से वापसी करके एशियाड में सिल्वर मेडल हासिल किया है वह बाकी एथलीट्स के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा हैं. मैं दुती को मिले इस सिलवर मेडल से बहुत खुश हूं.’

दुती ने रविवार को एशियाड में वीमंस 100 मीटर फर्राटा रेस मे सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है. इस इवेंट में इससे पहले 1998 एशियाड में भारत के लिए रचिता मिस्त्री ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था.