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69 मेडल@69 कहानियां: मां के बलिदानों और धरुन की जिद ने तय की मेडल की राह

कहानी 33: अय्यासामी ने पुरुषों की 400 मीटर बाधा दौड़ में 48.96 सेकेंड का समय लेकर खुद का राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा

FP Staff

भारत के धरुन अय्यासामी को उम्मीद है कि एशियन गेम्स में 400 मीटर बाधा दौड़ में रजत पदक की जीत उन्हें नौकरी दिलाने के लिए काफी होगी ताकि वह घर चलाने में अपनी मां की मदद कर सकें. धरुन केवल आठ साल के थे जब उनके पिता की मौत हो गई और तब से उनकी मां ने अकेले उन्हें पाल पोसकर बड़ा किया.

अय्यासामी ने पुरुषों की 400 मीटर बाधा दौड़ में 48.96 सेकेंड का समय लेकर खुद का राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा और वह कतर के अब्दररहमान सांबा के बाद दूसरे स्थान पर रहे. सांबा ने 47.66 सेकेंड के खेलों के नए रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक हासिल किया. अय्यासामी का इससे पहले का राष्ट्रीय रिकॉर्ड 49.45 सेकेंड था, जो उन्होंने इस साल मार्च में फेडरेशन कप में बनाया था. तमिलनाडु का यह 21 वर्षीय एथलीट 300 मीटर की दूरी तक चौथे स्थान पर था, लेकिन आखिरी 100 मीटर में उन्होंने दो धावकों को पीछे छोड़कर रजत पदक हासिल किया. भारत का यह इस स्पर्धा में 2010 में जोसेफ अब्राहम के स्वर्ण पदक के बाद पहला पदक है.


मिलनाडु के तिरुपुर के 21 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, ‘मैं आठ साल का था जब मेरे पिता गुजर गए. मेरी मां ने मेरे लिए काफी बलिदान दिए हैं. मेरे जीत की वजह वह ही हैं. वह शिक्षक हैं और उन्हें केवल 14,000 रुपए का मासिक वेतन मिलता है.’

धरुन अब अपनी मां की मदद करना चाहते हैं और उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के बाद अब नौकरी मिलने की उम्मीद है. तमिलनाडु के खिलाड़ी ने 48.96 सेकेंड का समय लेकर खुद का राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा और वह कतर के अब्दररहमान सांबा के बाद दूसरे स्थान पर रहे. धरुन 300 मीटर की दूरी तक चौथे स्थान पर थे, लेकिन आखिरी 100 मीटर में उन्होंने दो धावकों को पीछे छोड़कर रजत पदक हासिल किया.